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वेडिंग पॉइंट व फार्म हाउस संचालकों ने नगर निगम के खिलाफ खोला मोर्चा

पंजीकरण शुल्क के विरोध में वेडिंग व फार्म हाउस संचालकों ने नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मामले में आज संचालकों ने निगम पहुँच कर मेयर व नगर आयुक्त के समक्ष अपना विरोध प्रकट किया। जिस पर नगर आयुक्त ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस पर कोई भी अंतिम निर्णय सबसे बातचीत के बाद ही लिया जाएगा।

एसोसिएशन सदस्यों ने निगम में कहा कि आपके नोटिस दिनांकित 16 मई 2025 के संदर्भ में हम नगर निगम देहरादून से व्यवसाय और व्यापार लाइसेंस के कार्यान्वयन का बहुत दृढता से विरोध करते हैं।

हम पहले से ही नगर निगम को सम्पत्ति कर के विरुद्ध भुगतान की गई मोटी रकम के बोझ तले दबे हुए है। हमें नगर निगम से उस कर के विरूद्ध कोई सहायता नहीं मिलती है, वास्तव में हमें अपने कचरे को आपके अधिकारियों द्वारा निर्धारित कचरा संग्रह केन्द्रो पर गिराने के लिए कचरा निपटान वाहन (बहुत अधिक कीमतों पर) की व्यवस्था स्वंय करनी पडती है।

विवाह स्थल खोले जाने पर भारी शुल्क और करों का भुगतान करना पड़ता है। सरकार पहले से ही फायर एनओसी और एमडीडीए अनुमोदन आदि के माध्यम से भारी शुल्क वसूलती है। एक विवाह स्थल एक वर्ष में लगभग 35 से 40 शादियों के लिए संचालित होता है। पूरे वर्ष स्थल का रखरखाव करना पडता है, जिसके लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। उपरोक्त कारकों पर विचार करते हुए, विवाह स्थल कमी-कभी घाटे में भी रहते है, लेकिन इन्हें बहुत अधिक आय वाला व्यवसाय माना जाता है।

नगर निगम को उन स्थानों और आयोजनों की पहचान करने की आवश्यकता है, जैसे बन्नु स्कूल ग्राउण्ड जहाँ आलीशान आयोजन होते है। लाईसेसिंग के नाम पर सभी विवाह स्थलों पर बोझ डालने के बजाय उच्च आय वाले आयोजनों पर कर लगाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अधिकांश विवाह स्थल उच्च अधिकारियों के दबाव के कारण राजनीतिक आयोजन निःशुल्क आयोजित करते है, लेकिन कर अधिकारियों और कानूनों द्वारा इसकी गणना नहीं की जाती है। विवाह स्थलों को पुलिस से कोई सहायता नहीं मिलती है और उन्हें यातायात की स्थिति और सडकों पर किसी भी तरह के दुर्व्यवहार करनी पड़ती है। इससे हमारे द्वारा अर्जित राजस्व काबएक बड़ा हिस्सा भी चला जाता है।

उन्होंने कहा कि ऑल इण्डिया टैंट डेकोरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हमें अपना पूर्ण समर्थन दिया है और नगर निगम देहरादून से देहरादून विवाह स्थलों, फार्म हाउस और अन्य विवाह स्थलों पर कर लगाने की योजना को रदद करने का अनुरोध किया है। उन्होने इस तरह के करों के लागू होने पर नगर निगम के खिलाफ हमारे आंदोलन को आगे बढाने के लिए पूर्ण समर्थन का भी वादा किया है।

राज्य सरकार ने पहले ही एम०डी०डी०ए०, देहरादून जैसे कुछ लाईसेसिंग प्राधिकरणों को भवन मानंदडो के अनुसार नियोजित पार्किंग स्थल के लिए अधिकृत किया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) को होटल, रेस्तरां और विवाह स्थलों से उपलब्ध कराए जाने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए, अधिकृत किया है। फिर नगर निगम अन्य प्राधिकरणों के क्षेत्र में प्रवेश करने में क्यों रूचि रखता है। बेहतर होगा कि नगर निगम क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार के मौजूदा विभागों के साथ समन्वय स्थापित करे।

By amit