*’देहरादून में मंत्री विधायक हारे’!, सीएम-संघ की जुगलबंदी का चला जादू, थपलियाल की रिकॉर्ड जीत इसी का नतीजा*
देहरादून नगर निगम के मेयर पद का चुनाव पूरे प्रदेश में हमेशा से प्रतिष्ठित रहा है। अहम ये की इस प्रतिष्ठित चुनाव के लिए पहली बार ऐसा हुआ कि भाजपा कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशियों को मैदान में उतारा जो जनता के बीच पूरे चुनाव में अपनी खूबियों से खूब सुर्खियां बटोरते रहे। दोनों dav कॉलेज की राजनीति से निकले थे तो शहर के पुराने युवाओं अब जो अधेड़ हो गए वहां दोनों की पकड़ मजबूत थी। पूरे चुनाव के दौरान दोनों का कमाल का managment भी देखने को मिला। कॉलेज के रणनीति की तरह लड़ा गया चुनाव जब बीच में बराबरी के मुकाबले पर दिखने लगा तो असल, चुनाव की शुरूआत हुई। भाजपा की ओर से जहां मंत्री विधायको को अपने क्षेत्र में मेयर, चेयरमैन और पार्षदों को जिताने में पसीने निकल गए तो एन वक्त में देहरादून नगर निगम में मुख्यमंत्री धामी और संघ की जुगलबंदी ने एकाएक देहरादून में चुनाव का रुख बदल दिया।
कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र पोखरियाल जो एकाएक चुनाव में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्शाने लगे तो उनके पीछे पूरी कांग्रेस कहीं न कहीं एकजुट हो गई , फिर कॉलेज के रणनीतिकारों ने भी उनके चुनाव को उठाया। ठाकुर ब्राह्मण का ध्रुवीकरण भी शुरू हुआ लेकिन राजनीति के चाणक्य सीएम धामी ने देहरादून में संघ के साथ शानदार जुगलबंदी कर इस चुनाव को शेर की तरह शिकार करते हुए एकतरफा कर दिया। नतीजा, भाजपा के सौरभ थपलियाल एक लाख से ज्यादा वोट से जीते।
अब एक नजर देहरादून के मंत्रियों और विधायकों की परफॉर्मेंस पर डाले तो पता चलता है कि सब अपने घर मे बस हारते हारते बचे। ऋषिकेश में मंत्री प्रेम चंद के करीबी पासवान कैसे गिरते पड़ते मेयर बने सबके सामने है तो रायपुर में विधायक उमेश शर्मा काऊ अपने करीबी पार्षद संजीव मल्होत्रा व कवींद्र सेमवाल को जितवनाने में नाकाम रहे। mussuorie में बमुश्किल मंत्री गणेश जोशी, मैडम सकलानी को जितवाने में कामयाब रहे। डोईवाला में भाजपा तो जीती पर चर्चा है कि यहां थपलियाल को माननीय सांसद महोदय व विधायक का वो साथ नहीं मिला जो मिलना चाहिए थे। पछवादून में भी मिले जुले नतीजे रहे। देहरादून में भाजपा के कई दिग्गज पार्षद चुनाव हार गए।
