*फूड लाइसेंस की आड़ में दवा बनाने का खेल::: सेंट्रल लाइसेंस होने के कारण फूड और ड्रग डिपार्टमेंट दोनों की है अपनी सीमा*
रुड़की में फिर एक बार फूड लाइसेंस की आड़ में दवा निर्माण का खेल पकड़ा गया है। लेकिनीद तरह के मामलों में कार्रवाई को लेकर फूड और ड्रग दोनों ही विभागों की अपनी लिमिटेशन हैं।
दरअसल, सप्पलीमेंट बनाने वाली कंपनियों को सेंट्रलाइज लाइसेंस जारी होता। इनके लाइसेंस को जारी करने या लाइसेंस जारी होने के बाद राज्य स्तर पर विभाग के पास यहां इंस्पेक्शन का अधिकार भी नहीं है।
यही वजह है कि सेंट्रलाइज लाइसेंस मिलने के बाद food suppliment बनाने की आड़ में दवा बनाने का धंधा शुरू कर देती हैं। दरअसल, सेंट्रल लाइसेंस जारी होने के बाद ये बेफिक्रे रहते हैं कि राज्य स्तर पर उन्हें कोई छेड़ेगा नहीं और सेंट्रल ऑथोरिटी कभी कभी ही कार्रवाई हो आती है तो ये बेखौफ अपने गलत मंसूबों को पूरा करने में लगे रहते हैं।
बीते रोज भी इसी तरह का मामला रुड़की में आया। हालांकि ड्रग डिपार्टमेंट ने इस पर तत्परता दिखाई लेकिन असल प्रश्न व्यवस्था गत खामी से जुड़ा दिखता है।
गौरतलब है कि ड्रग विभाग को सूचना मिली थी कि सुनहरा गांव में एक फैक्ट्री में फूड लाइसेंस के नाम पर दवाओं का निर्माण किया जा रहा है। इस फैक्ट्री में कलेस्ट्रोल कम करने, कब्ज दूर करने, दर्द निवारक आदि दवाओं का निर्माण किया जा रहा है। इस पर प्रभारी सहायक ड्रग नियंत्रक डा. सुधीर कुमार, वरिष्ठ ड्रग इंस्पेक्टर ऊधमसिंह नगर नीरज कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर देहरादून मानवेंद्र राणा एवं विजिलेंस टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर छापा मारा, तो वहां पर अरुण कुमार नाम के व्यक्ति के साथ ही 20 से अधिक महिला व पुरुष दवा का निर्माण करते मिले। वहां पर दवा का मिश्रण (अर्द्धनिर्मित दवा) तैयार किया जा रहा था। इसके अलावा कई बाक्स में दवा बनाने का स्लाट भी रखा हुआ था।
टीम द्वारा दवा बनाने का लाइसेंस मांगे जाने पर वहां मौजूद व्यक्ति ने फूड लाइसेंस थमाया। इसके बाद टीम ने छानबीन की तो यहां पर कई तरह की अनियमितताएं मिलीं। इसके बाद टीम ने पूरे सामान को साल कर जब्त कर लिया। साथ ही, उच्च अधिकारियों को इस संबंध में सूचना दी। ड्रग इंस्पेक्टर मानवेंद्र राणा ने बताया कि अभी टीम की ओर से छानबीन कर पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।