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देहरादून। देहरादून घंटाघर पर गुरुवार को हुए बवाल के पीछे विवादित कोचिंग सेंटरों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। छात्रों को गुमराह कर माहौल को खराब किया गया। जानकार बता रहे हैं की धामी सरकार के नकल विरोधी कानून से घबराए हुए नकल फर्जीवाड़े में शामिल कोचिंग सेंटर संचालक लगातार माहौल को खराब किए हुए हैं।
जिस तरह से एक साल में सीएम धामी ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर नकल माफिया की कमर तोड़ी हुई है, उससे घबराकर नकल माफिया युवाओं को भरमा कर माहौल को खराब करने की कोशिश में लगे हुए हैं। सीएम धामी ने देश का सबसे मजबूत सख्त भू कानून बना कर नकल माफिया की नींद उड़ा दी है।
नकल कारोबार से जुड़े कोचिंग सेंटर माफिया को साफ हो चुका है की सीएम धामी के रहते हुए उनकी दाल नहीं गलने वाली। अब राज्य में नौकरियों का फर्जीवाड़ा नहीं चलने वाला। ऐसे में लगातार ऐसी साजिशें रची जा रही हैं, जिससे नकल माफिया के खिलाफ चल मुहिम को प्रभावित किया जा सके।
इसी साजिश के तहत छात्रों के आंदोलन में पत्थरबाजों को शामिल कराया गया। इन अराजक तत्वों ने उत्तराखंड के छात्रों को भी बदनाम करने की साजिश रची। छात्रों और सरकार के बीच विवाद खड़ा किया गया। देहरादून के शांत माहौल को पत्थरबाजी से कश्मीर बनाने का प्रयास किया गया।
इन सारे षड्यंत्र के जरिए सरकार और छात्रों के बीच खाई चौड़ी करने का प्रयास किया गया। इस हकीकत को अब युवाओं को भी समझना होगा। उन्हें भी महसूस करना होगा की उत्तराखंड में पहली बार किसी सरकार ने जबरदस्त नकल विरोधी अभियान चलाया। उत्तराखंड से लेकर यूपी तक में बैठे माफियाओं को जेल भेजा। हाकम सिंह जैसे माफिया की अकूत संपत्ति पर बुलडोजर चलाने की हिम्मत दिखाई। ऐतिहासिक मजबूत नकल विरोधी कानून तैयार किया।

By amit