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देहरादून। सीएम पुष्कर सिंह धामी की रफ्तार ने नौकरशाहों, विभागाध्यक्षों की सांसें फुला दी हैं। सीएम के 20 घंटे काम करने के मिजाज से अफसर बेचैन हैं। ऊपर से सीएम के मजबूत पर्सनल इंटेलिजेंस सिस्टम ने अलग से नींद उड़ा दी है।
एनडी तिवारी सरकार के बाद ये पहला मौका है, जब नौकरशाह किसी सीएम पर हावी नजर नहीं आ रहे हैं। इस मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी का महज 24 साल की उम्र में ही 2001 में सीएम का ओएसडी बनना, लखनऊ विवि का राजनीतिक अनुभव, दस साल भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पूरे प्रदेश में तैयार मजबूत नेटवर्क, अब उनके काम आ रहा है। शायद ही कोई ऐसा विभाग हो, जिसकी उन्हें जानकारी न हो। हर विभाग में अंदर तक उनका पर्सनल नेटवर्क है। जिसकी सीधी जानकारी सीएम तक पहुंचती है। सीएम के इसी नेटवर्क ने अफसरों की नींद उड़ा रखी है।
ऊपर से सीएम का सुबह चार बजे से लेकर रात एक बजे का मूवमेंट भी अफसरों को परेशान किए हुए हैं। जाने कब किस अफसर का फोन घनघना जाए, किस बात पर कब कौन सा इनपुट तलब कर लिया जाए, किसी को कोई खबर नहीं रहती। हर अफसर को हर वक्त अलर्ट मोड पर रहना पड़ रहा है। ऊपर से सीएम के वीकेंड मूवमेंट ने भी अफसरों की परेशानी बढ़ा दी है। शायद ही कोई वीकेंड ऐसा हो, जब सीएम किसी जिले में मौजूद न रहते हों। वहां सुबह पांच बजे सैर पर निकल लोगों से सीधा संवाद करना। दोपहर में जिले की प्रशासनिक मशीनरी से बैठक कर योजनाओं की समीक्षा करना। शाम से लेकर देर रात तक गांवों की चौपालों में लोगों के बीच मौजूद रहने के कारण भी अफसरों को अलर्ट मोड पर रहने को मजबूर कर रहा है।
सीएम धामी की रात दिन की मेहनत, मजबूत नेटवर्क, जबरदस्त पर्सनल इंटेलिजेंस सिस्टम से अब अफसरों का पार पाना मुश्किल नजर आ रहा है। इसी हकीकत को ध्यान में रखते हुए अब नौकरशाह लाइन पर नजर आ रहे हैं। अब कोई अफसर सरकार के अस्थिरता से जुड़ी बात करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहा है। पहले आए दिन यही नौकरशाही सरकार को अस्थिर करने की खबरें चलाती नजर आती थी। नौकरशाहों के ऑफिस किस्सेबाजी, अड्डेबाजी के ठिकाने नजर आते थे। अब कोई भी ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इधर किसी अफसर के मुंह से कोई बात निकली नहीं, उधर बात उच्च स्तर तक पहुंच जा रही है। इधर किसी अफसर ने कुछ गेम करने का मन ख्याल में लाया नहीं कि उससे पहले ही अफसर के पास सख्त चेतावनी पहुंच जा रही है। ऐसे में कई ऐसे नौकरशाह जो मलाईदार विभाग मिलने के बाद ख्याली पुलाव तैयार ही कर रहे थे, अब उनके साथ अंगूर खट्टे वाली कहावत सटीक बैठ रही है। सालों बाद उत्तराखंड की सियासत में ये मौका आया है, जब कोई सीएम राज्य की नौकरशाही पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। केंद्र सरकार में काम कर चुके कुछ नौकरशाह इसे उत्तराखंड में पीएम मोदी स्टाइल का दूसरा रूप बता रहे हैं।

By amit