उत्तराखंड को हर बार अस्थिर करने वाली मंथरा से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व नाराज, जिस पूर्व सीएम की कुर्सी खाई, फिर उसी को बनाया बली का बकरा, इस बार मंथरा को अयोध्या से बाहर निकाल रामराज स्थापित करने की तैयारी
देहरादून। उत्तराखंड भाजपा सरकार को दशकों से अस्थिर कर सीएम हटाओ अभियान में लगी रहने वाली मंथरा के लगातार साजिशों में लगे रहने को इस बार भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने बेहद गंभीरता से लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे पसंदीदा सीएम पुष्कर सिंह धामी को कुर्सी से हटाने को लेकर मंथरा के रचाए जा रहे षडयंत्र का पर्दाफाश होने के बाद पीएमओ नाराज बताया जा रहा है। इस बार भी मंथरा ने अपने षडयंत्र के लिए एक पूर्व सीएम को बलि का बकरा बनाया है। राजनीतिक पंडित इस बार इसीलिए अधिक चौंके हुए हैं कि मंथरा ने जिस पूर्व सीएम को बलि का बकरा बनाया है, वो एक पूर्व सीएम है। जबकि महज कुछ साल पहले इन्हीं पूर्व सीएम की कुर्सी इसी मंथरा के रचे षडयंत्र के कारण गई थी। इसके बावजूद दोबारा फिर उसी मंथरा के जाल में फंस कर केंद्रीय नेतृत्व के निशाने पर आ गए हैं।
ये कोई पहला मौका नहीं है, जब मंथरा इस तरह के षडयंत्रों में लगी रही हो। भगत सिंह कोश्यारी, भुवनचंद्र खंडूडी से लेकर राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले रमेश पोखरियाल निशंक तक इस मंथरा के दंश से नहीं बच पाए। इसके बाद त्रिवेंद्र तीरथ भी इसी मंथरा बुद्धि के कारण निपटे। हर मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष को अस्थिर करने में इस मंथरा की बेहद अहम भूमिका रही। ढाई दशक में भी मंथरा खुद जनता में अपना राजनीतिक वजूद नहीं बना पाई। सिर्फ दिल्ली में अपने मीडिया नेटवर्क के दम पर अपनी खोखली इमेज को चमकाने और दूसरे की जड़ों को खोद कर राज्य को अस्थिर करने की साजिश में अधिक दिलचस्पी दिखाई। त्रिवेंद्र तीरथ सरकार में तो आलम ये रहा कि अखबारों के मुख पृष्ठ पर मुख्यमंत्रियों की बजाय मंथरा की ही जयजयकार अधिक होती रही। हर काम का श्रेय मंथरा ही अपने मीडिया मैनेजमेंट के जरिए लेती रही। राज्य सरकारों को अस्थिर कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रसेवा की मुहिम को भी लगातार कमजोर करने का काम मंथरा के स्तर से किया गया। न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की जड़ें हिलाने में भी मंथरा का दीमाग हमेशा सक्रिय रहता है।
दूसरी ओर मंथरा की अपनी बुद्धि का स्तर ये है कि वो एक बार विधानसभा चुनाव का पर्चा तक सही से नहीं भर पाई। दूसरी बार हारे, फिर सालों तक राज्य में अपनी शक्ल न दिखाई, दिल्ली बैठ राज्य के भाजपा मुख्यमंत्रियों को कमजोर किया। त्रिवेंद्र सरकार को पूरे चार साल अस्थिर करने के बाद पद से हटवा कर ही दम लिया। सीधे सरल तीरथ रावत का मीडिया में मजाक दर मजाक उड़वा कर उन्हें चार महीने में ही हटवाया। अब सीएम धामी को कमजोर करने को साजिश दर साजिश का खेल खेला जा रहा है। कभी अंकिता भंडारी केस में भाजपा को बदनाम कराया। कभी विधानसभा भर्ती में सरकार समेत आरएसएस जैसे मातृ संगठन के पदाधिकारियों को बदनाम करवा कर संगठन की साख पर बट्टा लगवाने का काम किया।
गढ़वाल में तेजी से उभरती ब्राह्मण नेता ऋतु खंडूड़ी को भी भरमाकर उनके कैरियर को भी बर्बाद करने की साजिश रची। उन्हें उनके घर कोटद्वार में भीतर ही भीतर कमजोर करने की साजिश रची। विधानसभा भर्ती मामले में ऋतु खंडूडी को भाजपा, संघ का दुश्मन बना दिया। अब हरिद्वार से सांसद बने त्रिवेंद्र रावत के कंधे पर बंदूक रख साजिशों का खेल खेलकर त्रिवेंद्र के राजनीतिक करियर को बर्बाद करने का खेल शुरू कर दिया है। कुछ ही दिनों में पीएम मोदी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल में स्थान मिलने से पहले ही त्रिवेंद्र को सरकार संगठन से दूर ले जाकर अपने लिए जगह बनाने का खेल खेला। इन साजिशों को अब केंद्रीय नेतृत्व ने भी गंभीरता से लिया है और मंथरा को अयोध्या निकाला देने की तैयारी है। ताकि राज्यों के मुख्यमंत्री अपने अपने राज्यों के विकास पर ध्यान केंद्रित होकर काम कर सकें।

