देहरादून: राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कालेज (आरआइएमसी) रविवार को अपनी स्थापना के सौ साल पूरे कर लेगा। इस मौके को खास बनाने के लिए यहां भव्य शताब्दी समारोह आयोजित किया जा रहा है। जिसमें थलसेना, वायुसेना व नौसेना के तमाम सेवारत व सेवानिवृत्त अधिकारी शिरकत करेंगे। संभवत: सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी समारोह में हिस्सा लेने दून पहुंच सकते हैैं।
आरआइएमसी भारतीय उपमहाद्वीप का पहला सैन्य शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान है। तत्कालीन प्रिंस आफ वेल्स ने 13 मार्च 1922 को देहरादून में कालेज की स्थापना की थी। तब इसका नाम रायल इंडियन मिलिट्री कालेज रखा गया था। बाद में किंग एडवर्ड आरआइएमसी नाम से इस कालेज का उद्घाटन किया गया। शुरुआत में आरआइएमएसी में भारतीय युवाओं को शिक्षित व प्रशिक्षित कर ब्रिटिश भारतीय सेना के अधिकारी संवर्ग के भारतीयकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाता था। देश आजाद होने के बाद से आरआइएमसी में सेना के तीनों अंगों के लिए युवा छात्रों को शिक्षित व प्रशिक्षित किया जाने लगा। आरआइएमसी से पास आउट होकर अब तक भारतीय थलसेना को छह सेना प्रमुख, 41 सैन्य कमांडर व 163 लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के सैन्य अधिकारी मिल चुके हैं। रिटायर वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल वीएस धनोवा भी आरआइएमसी से पास आउट हुए थे। दूसरे विश्व युद्ध में अदम्य साहस के लिए विक्टोरिया क्रास प्राप्त विजेता लेफ्टिनेंट पीएस भगत भी इसी कालेज से पास आउट हुए थे। आरआइएमसी के सौ साल के गौरवशाली इतिहास में और भी कई अहम तथ्यों का समावेश है। कुल मिलाकर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में आरआइएमसी से पास आउट हुए कैडेट (छात्र) की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। दूसरे विश्व युद्ध से लेकर बालाकोट आपरेशन तक सैन्य सेवाओं में उनकी नेतृत्व की भूमिका की सराहना की गई है। अपनी स्थापना के सौ साल पूरे करने का स्मरणोत्सव इस प्रतिष्ठित सैन्य संस्थान की सभी बाधाओं को झेलने का प्रमाण भी है। कोरोनाकाल में पिछले दो साल में भी आरआइएमएसी में अध्ययनरत कैडेट को शिक्षित व दीक्षित किया गया है।
आरआइएमसी की स्थापना के सौ साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित होने वाले शताब्दी समारोह में पहले दिन विशेष डाक टिकट व कवर का अनावरण भी किया जाएगा। इसके अलावा कैडेटों की लिखी गई पुस्तक ‘बल-विवेकÓ का विमोचन भी किया जाएगा। वायुसेना के पूर्व एयर मार्शल पीपी रेड्डी, प्रोफेसर सिद्धार्थ मिश्रा के संकलित एतिहासिक संग्रह ‘वेलर एंड विजडमÓ की इस दौरान जारी किया जाएगा। आरआइएमसी से पास आउट होकर सेना के ऊंचे ओहदे पर पहुंचे सेवारत व सेवानिवृत्त अधिकारी कैडेटों के साथ अपने अनुभव भी साझा करेंगे।
8 में मिलता है प्रवेश
आरआइएमएसी में साढ़े 11 से 13 आयु वर्ग के छात्र-छात्राओं को आठवीं कक्षा में प्रवेश मिलता है। प्रवेश के लिए अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। फिर साक्षात्कार व मेडिकल के बाद तैयार होने वाली मेरिट सूची से प्रवेश के लिए छात्रों का चयन होता है। एक बार में कालेज में पूरे देश से 30 छात्र-छात्राओं (पांच सीट छात्राओं के लिए) का चयन किया जाता है। हर राज्य के लिए कोटा निर्धारित है। बड़ी आबादी वाले राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों से सिर्फ एक ही छात्र का चयन आरआइएमसी के लिए हो पाता है। कालेज में अध्ययनरत छात्रों को शिक्षा के साथ ही सैन्य प्रशिक्षण भी दिया जाता है। कालेज से 12वीं उर्तीण करते ही छात्रों (कैडेट) का चयन एनडीए के लिए हो जाता है। जहां पर तीन साल मिलिट्री ट्रेनिंग करने के बाद वह थलसेना, वायुसेना व नौसेना ज्वाइन करने का चयन करते हैं।