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पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि दिल्ली का सकल चुनाव परिणाम चिंतनीय व विचारणीय है। भाजपा संपूर्ण शक्ति लगाकर छल-बल, धन की युद्ध नीति अपनाकर जीत के लिए काम करती है। भाजपा के पास इस समय प्रधानमंत्री जी और गृह मंत्री जी के रूप में दो विपक्ष को रौंद देने वाले जबरदस्त प्रचारक हैं।दिल्ली जीते उससे पहले बिहार की तैयारी, यह है आज की भाजपा। इसके विपरित गठबंधन में एक-दूसरे पर दोष निकालने की होड़ मची है।
यदि गठबंधन के साथियों ने विशेष तौर पर आप ने कांग्रेस के नीचे से चटाई खिसकाने का लक्ष्य नहीं रखा होता तो दिल्ली में दोनों पार्टियों के मध्य एक स्ट्रैटेजिक एलाइंस हो सकता था। मगर श्री केजरीवाल जी के अहंकार ने ऐसा होना संभव रखा ही नहीं। हमारी साझेदारी टूटने से हमारा व आप का वोट बैंक टूटा और इसका सीधा-सीधा नुकसान संख्या बल में “आप” को उठाना पड़ा है। मगर मैं इस तथ्य से सहमत हूं कि कांग्रेस भी अपना वोट अपेक्षित सीमा तक नहीं बढ़ा पाई है। हमें 9-10 प्रतिशत तक अपने वोट प्रतिशत को लेकर जाना चाहिए था। हमें नगर निगम के चुनावों तक दिल्ली में अपने वोट प्रतिशत को इस सीमा तक बढ़ाना पड़ेगा कि हमें गठबंधन के साथी और अधिक गंभीरता से लेना प्रारंभ करें। मगर इसके लिए कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व को अभी से कमर कसनी ‌पड़ेगी। दिल्ली में जो आंचलिक सामाजिक समूह हैं, भाजपा ने उनके मध्य सशक्त नेतृत्व खड़ा किया है। उत्तराखंड के लोगों के बीच जिस प्रकार मोहन सिंह बिष्ट जी का एक राज्य स्तरीय व्यक्तित्व बना है और जैंती, लमगड़ा के रहने वाले संघर्षशील नौजवान रविंद्र नेगी भी जीते हैं, इससे भाजपा उत्तराखंडियों में आगे और मजबूत होगी। कांग्रेस ने भी एक अच्छे संभावना युक्त उत्तराखंडी श्री प्रेम बल्लभ शर्मा को हरिनगर से उम्मीदवार बनाया। खैर हरिनगर में बहुत अच्छा करने की संभावना नहीं थी, क्योंकि उत्तराखंड का वोट बहुत कम है। मगर जिस प्रकार श्री शर्मा चुनाव लड़े एक संघर्षशील साधन युक्त व्यक्ति के रूप में उभरे हैं। कांग्रेस को उत्तराखंडियों में श्री शर्मा सहित तुगलकाबाद बदरपुर क्षेत्र में अत्यधिक सक्रिय कांग्रेसी नौजवान श्री रविंद्र रावत को उभारना चाहिए। पुराने उत्तराखंडी कार्यकर्ता श्री हरिपाल आदि के साथ यह लोग कांग्रेस के लिए उत्तराखंडियों के बीच में अच्छा समर्थन जुटा सकते हैं। पूर्वांचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि सामाजिक समूहों के मध्य से भी कांग्रेस को अच्छे संगठक अभी से ढूंढने पड़ेंगे और उनके व्यक्तित्व को उभारना व निखारना पड़ेगा।
नई दिल्ली सहित हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में मैंने, राज्य आंदोलन के संघर्ष समिति के संयोजक के रूप में जनसंपर्क किया व छोटे-छोटे संगठन खड़े किये, उससे पहले दिल्ली का महत्वपूर्ण सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालय ऐसा नहीं रहा है जहां मैंने कर्मचारी और श्रमिकों के साथ इंकलाब जिंदाबाद, हमारी मांगे पूरी करो-चाहे जो मजबूरी हो, जो हमसे टकराएगा चूर-चूर हो जाएगा के नारे गूंजायमान न किये हों। इस चुनाव के दौरान मेरी सभाओं में उत्तराखंडी साथियों के साथ-साथ पुराने कर्मचारी साथी भी आए और मेरा हौसला बढ़ाया। मुझे उनसे मिलकर बहुत उत्साह मिला, उनके मन में आज भी मेरे लिए गंभीर भावना है। मैं अपने पर निरंतर किसी ने किसी बीमारी के हो रहे प्रकोप से लड़ते हुए खड़ा हो सका और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने मुझसे अपेक्षा की तो मैं भी अपनी सेवाएं वहां कांग्रेस को एक अच्छी शक्ति बनाने में देना चाहूंगा। हमें इस शुभ कार्य में आप संगठित हो, उससे पहले संपूर्ण शक्ति के साथ जुटना पड़ेगा।
दिल्ली के चुनाव, #उत्तराखंड कांग्रेस के लिए भी एक जबरदस्त वेक अप कॉल है अर्थात जागो और उठो, दौड़ों का संदेश है। रैंपेजिंग प्रधानमंत्री जी, उत्तराखंड में भी पूरी शक्ति लगाएंगे। हमने देखा है कि भाजपा के नेता झूठ को भी सच के तरीके से गढ़ने और प्रस्तुत करने में कितनी महारत हासिल कर चुके हैं। राजनीतिक दलों को तोड़ना, भाजपा ने अपना एक चुनावी अस्त्र बना लिया है। हमें उत्तराखंड में सभी तरफ देख करके चलना पड़ेगा और एक वैकल्पिक विकास व जनकल्याण का एजेंडा अभी से जनता के सामने रखना पड़ेगा ताकि उस पर गांव-गांव में चर्चा हो सके।
यदि कांग्रेस 2027 में उत्तराखंड में, सत्ता में वापसी चाहती है तो भाजपाई मॉडल के जवाब में हमको अपना मॉडल सामने रख उसके साथ लड़ाई का बिगुल फूंकना पड़ेगा। इस पवित्र कार्य में हमें सहयोग करने के लिए बहुत सारी शक्तियां उत्सुक हैं। हमें बांहें फैलाकर ऐसे सहयोग का स्वागत करना चाहिए।

By amit

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