देहरादून::: 1 को छोड़ बाकी 9 सीटों पर सीधा मुकाबला, पढ़िए समीक्षात्मक रिपोर्ट
Dehradoon. देहरादून जिला जहां 2017 के चुनाव में भाजपा 9 सीटें जीतने में कामयाब रही थी वही भाजपा 2022 में जिले की 10 में से 9 सीटों पर फंसी हुई है। यहां तक कि जिस रायपुर सीट से उमेश काऊ राज्य की सबसे बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे वहां भी कांग्रेस अच्छे मुकाबले में दिख रही है। आइए आपको dehradoon की सभी 10 सीटों की वर्तमान स्थिति बताते हैं…
मसूरी: इस सीट पर भाजपा के भारी भरकम गणेश जोशी तीसरी बार विधायक बनने की जुगत में हैं लेकिन पिछले 3 चुनाव में पहली बार कांग्रेस की प्रत्याशी गोदावरी थापली सीधे मुकाबले में हैं और अच्छी टक्कर भी दे रही हैं। हालांकि अभी भी अपर हैंड भाजपा ही है।
राजपुर रोड: इस सीट पर भाजपा ने एक बार फिर खजान दास पर दांव खेला है। माना जाता है कि 2017 की मोदी लहर में ये सीट भाजपा की झोली में आई थी। कांग्रेस प्रत्याशी 2017 में भी favourite थे और इस बार भी favourite हैं। यानि मुकाबला अच्छा हो रहा है लेकिन आज की स्थिति में राजकुमार अप हैं।
कैंट: हरबंश कपूर जी के निधन के बाद ये सीट एकाएक रोचक हो गई है। कपूर साहब की पत्नी सविता कपूर भाजपा के कैडर वोट के भरोसे मजबूती से मैदान में हैं तो कांग्रेस के धस्माना प्रेमनगर जैसे बड़े वोटर वाले इलाकों में बढ़िया बढ़त लेते दिख रहे। कुल मिलाकर इस बार सूर्यकान्त धस्माना ने भाजपा की इस परम्परागत सीट को हॉट बना दिया है और मुकाबला कड़ा दिख रहा है।
रायपुर: उमेश काऊ इस सीट से रिकॉर्ड धारी हैं लेकिन पुराने चावल यानि हीरा सिंह बिष्ट ने उनकी नाक में दम कर रखा है। ननुरखेड़ा में अपना गांव साधने से लेकर पुरानी नाते रिश्तेदारी निकालने से लेकर तिवारी सरकार में हुए कामकाज गिनाकर इस अनुभवी योद्धा ने मुकाबले को रोचक बनाया हुआ है। कहा तो ये भी जा रहा कि भाजपा की एक पूरी टीम इनके लिए काम कर रही है। काऊ केवल अपने काम और अपने लोगों के भरोसे मैदान में हैं।
धर्मपुर: धर्मपुर में भाजपा के बागी वीरेंद्र सिंह पंवार ने मुकाबला त्रिकोण में बदल लिया है। 5 साल सक्रिय न रहने के बावजूद कांग्रेसी दिनेश अग्रवाल को वीरेंद्र पंवार की उम्मीदवारी से फायदा मिल रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि पंवार चमोली के पहाड़ी वोट खूब काट रहे और चमोली भी मुँह खोलकर बहुत कुछ गंवा रहे। खैर, इस सीट पर अपर हैंड चमोली तो हैं लेकिन नतीजे चौंका भी सकते हैं।
सहसपुर: इस सीट पर सीधी टक्कर भाजपा के सहदेव और कांग्रेस के आर्येन्दर में है। आर्येन्दर इस बार अपर हैंड तो हैं लेकिन भाजपा टीम ने इस सीट पर पूरा डेरा डाला हुआ है। एक अदने से नेता का बयान भी इसी सीट के कारण देशभर में चर्चा का विषय बन गया।
विकासनगर: यहां हमेशा की तरह चुनाव दो अनुभवी नेताओं के बीच है। इस सीट पर निष्क्रिय रहने के बावजूद कांग्रेसी नवप्रभात ने मुकाबले को टाइट बनाया हुआ है। अंडर करंट चला तो कुछ भी इधर उधर हो सकता है।
चकराता: ये पूरे जिले में एक मात्र ऐसी सीट है जहां लड़ाई नंबर एक पर नहीं बल्कि नंबर दो की चल रही है। प्रीतम जहां रामशरण के प्रत्याशी बनाने से निसफिक्र हैं तो निर्दलीय कमलेश यहां मुकाबले में दूसरे नंबर की लड़ाई रामशरण से लड़ रहे हैं।
डोईवाला::: इस सीट पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की ख्याति भी दावं पर है। दरअसल, चुनाव तो भाजपा प्रत्याशी लड़ रहे हैं लेकिन इज्जत त्रिवेंद्र की दाव पर है। निर्दलीय जितेंद्र नेगी इस सीट पर अच्छा कर रहे हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी भी पूरा जोर लगाए हुए हैं।
ऋषिकेश: इस सीट पर यूं तो भाजपा के प्रेमचंद अग्रवाल अब तक अपर हैंड हैं लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा निर्दलीय।कनक धने टेंशन देने का काम कर रहे हैं।