देवभूमि जी हाँ उत्तराखण्ड को क्यों देवभूमि कहा जाता है यहाँ हर मोड पर हर धार पहाड़ के बाद एक मंदिर या कहिए हर पत्थर मिट्टी पर देवता विराजमान है। नागराज के मंदिर आपको सड़क के मोड़ो से लेकर गाऊँ के पूजनीय देवता के रूप में मिलेंगे। हर गाऊँ का अपना देवता है हर पट्टी शहर में कई गणमान्य देवता है। बाहर बसे लोग साल भर में गाऊँ या इलाक़े के पूजनीय देवता की पूजा के लिए इक्कठे होते है वा आशीर्वाद पाते है। सभी गाऊँ इलाक़े के देवताओं की अपनी प्रसिद्धि क़िस्से है लेटेस्ट आपने पिछले साल ही सुरंग में फँसे लोगों की मदद के लिए आये हमारे देवता का गुणगान आपने सुना होगा।
ऐसे ही अनगिनत किससे पहाड़ में सड़क बनाने सुरंग बनाने में भारतीय वा अंग्रेजों की ज़ुबान से वर्णित है। इनसे भी अधिक वर्णित देवताओं की डोली वा देवता आना है। यानी डोली डोल के साथ मूव करती है एक डिकोडिंग पुजारी के साथ प्रश्न पूछे जाते है देवता आपके प्रश्न के उत्तर देता है वा समस्या का समाधान बताता है। इस अद्वुभुत देश में देवता देवी भैरव नागराज जगह जगह है। असांत मन मनौती समस्या के समाधान के लिए देश ही नहीं विदेश से भी लोग आते है अभी इस कला पर शोद्ध होना वा इस रहस्य रोमांच पर अधिक काम नहीं हुआ है पुराने लोगों के जाने के साथ इस कल्याणकारी कला का विलुप्त होने का ख़तरा है। नास्तिक नई पीढ़ी नये लोगों के आगे न आने से गंभीर संकट पैदा हो सकता है। इस कला को आगे बढ़ाने शोद्ध करने वा डिकोड करने की ज़रूरत है। पहाड़ के देवी देवताओं पशुवा का अपना बड़ा महत्व है। हम उम्मीद करते है संस्कृति भक्ति श्रद्धा की इस ब्रांच को भविष्य में और अच्छा स्थान मिलेगा।
कई सटीक भविष्यवाणियाँ वा उपाय इन देवताओं वा ज्योतिष के लोगों ने की है लेकिन उनका सही अर्थ यानी डिकोडिंग जो देवता ने कहा इंडीकेट किया उसे बताना ज़रूरी। विदेश की कई यूनवरसिटीज़ इस पर शोद्ध कर रही कई हमारे ज्ञान को भी ले गये है। इस उम्मीद के साथ की नई पीढ़ी वा सरकार इस पर ध्यान देगी इसे आगे बढ़ाएगी जन कल्याण के लिए।
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