वरिष्ठ पत्रकार दीपक फर्स्वाण इन दिनों चमोली जिले के सुदूरवर्ती पैतृक गांव बूंगा में परिवारजनों के साथ गए हैं। इस दौरान वे हमें और सबको जल, जंगल, जमीन का महत्व बहुत अच्छे से सोशल मीडिया के माध्यम से समझा रहे हैं तो एक पत्रकार होने के नाते सरकार द्वारा दूरस्थ क्षेत्रों में क्या कुछ योजनाएं चलाई जा रही हैं उनका भी रियलिटी चेक कर रहे हैं। ऐसे ही एक किस्से का उन्होंने अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर जिक्र किया, पढ़िए और समझिए आज कहां पहुँच गए हैं हम पहाड़ी राज्य की इस यात्रा में….
“एक वो दौर था जब हमारे गांव में मामूली बुखार जुखाम की दवा भी नहीं मिलती थी। अब वो दौर है जब विषम भौगोलिक क्षेत्र में स्थित मेरे गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टेलीमेडिसिन तकनीक से जुड़ चुका है। इस तकनीक के जरिए मरीज को राज्य के 4 राजकीय मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ चिकित्सक निशुल्क परामर्श दे रहे हैं। तमाम महत्वपूर्ण औषधियां अस्पताल में मौजूद हैं। अच्छी एंटीबायोटिक्स भी मिल रही हैं। संचार कनेक्टिविटी मजबूत न होने से कई बार चिकित्सकों से संपर्क कट जाता है, लेकिन एक दो बार के प्रयास में उनका परामर्श मिल ही जाता है। इतना जरूर है कि लोगों में इस सुविधा को लेकर जागरूकता कम है। स्वास्थ्य विभाग को जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लगातार इसका प्रचार प्रसार करना चाहिए। कल से मेरे गले में दर्द है। हल्का बुखार है। मैंने भी टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ लिया। यहां बैठे बैठे दून अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक डा. बसेड़ा से सीधा परामर्श हुआ। सरकार की आलोचना तो ठीक है लेकिन अच्छे काम भी सराहे जाने चाहिए। मौजूदा समय में उत्तराखण्ड के लगभग 400 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में टेलीमेडिसिन के जरिये मरीजों का इलाज किया जा रहा है।”