गंगोत्री यमुनोत्री में जीत दोहराने के साथ इन नये चेहरों पर भाजपा लगाएगी दांव
-गंगोत्री विधानसभा से विधायक के निधन के बाद नये चेहरे को टिकट मिलना तय
-यमुनोत्री विधानसभा में भी मौजूदा समीकरणों में कमल निशान के साथ होगा नया चेहरा
देहरादून। विधानसभा चुनाव 2022 की अधिसूचना जारी होने के बाद अब अगले कुछ दिनों भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस समेत सभी राजनैतिक दल भी अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करेंगे। उत्तरकाशी जनपद की तीन विधानसभा सीटों पर भी दर्जनों दावेदार राजनैतिक पार्टियों की ओर से प्रत्याशियों के आधिकारिक नामों के एलान पर टकटकी लगाए हुए हैं।
2017 में उत्तरकाशी की गंगोत्री व यमुनोत्री विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। जहां गंगोत्री का मिथक 2017 में भी बना रहा तो वहीं यमुनोत्री विधानसभा में भी राज्य गठन के बाद पहली बार कमल खिल पाया। यमुनोत्री विधानसभा में प्रंचड मोदी लहर के बावजूद भी 2017 में भाजपा और कांग्रेस के बीच हजार का फासला बहुत ज्यादा नहीं था। कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी घोषित किए गए केदार सिंह रावत नामांकन से एन वक्त पहले भाजपा में शामिल हो गये तो कांग्रेस को आनन फानन में नये चेहरे को प्रत्याशी घोषित कर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा। इसके बावजूद भी कांग्रेस यमुनोत्री में अपने नवे नवेले प्रत्याशी संजय डोभाल के जरिए भी बड़ा वोट जुटा सकी और भाजपा से हारने का अंतर भी बेहद कम रहा। भाजपा से विधायक बने केदार सिंह रावत के टिकट को लेकर 2022 विधानसभा में तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि केदार सिंह रावत को हाईकमान टिकट देने के मूड में नहीं है। स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों की ओर से केदार सिंह रावत के विरोध में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को पत्र भेजा गया। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा 2022 विधानसभा चुनाव के लिए यमुनोत्री में नये चेहरे पर दांव खेल सकती है। गंगा और यमुना घाटी में फैली इस विधानसभा में गंगा घाटी में वोटों की बड़ी संख्या को देखते हुए गंगा घाटी से नया चेहरा भाजपा का प्रत्याशी होने की पूरी संभावनाएं है।
जबकि, गंगोत्री विधानसभा में दो बार भाजपा के विधायक रहे गोपाल सिंह रावत का बीते साल अप्रैल में निधन हो गया था तब से यह सीट खाली चल रही है और यहां भी दर्जन भर से ज्यादा दावेदार टिकट के लिए दावेदारी जता चुके हैं। गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद यहां पार्टी का प्रत्याशी नया चेहरा ही होगा।
सूरत-ए-हाल यमुनोत्री
दो बार उत्तराखंड क्रांति दल और एक एक बार भाजपा कांग्रेस के कब्जे में रही इस सीट पर भाजपा को अपनी जीत दोहराने के लिए खूब मशक्कत करनी पड़ रही है। यूं तो 2007 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गये केदार सिंह रावत ने 2017 में एन वक्त पर भाजपा में शामिल होकर यमुनोत्री में पहली बार कमल खिलाया लेकिन इस बार पार्टी संगठन उनका खुलेआम विरोध कर रहा है। बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे और संगठन में महत्वपूर्ण पद पर काम कर रहे एक दावेदार लगातार मौजूदा विधायक के खिलाफ कार्यकर्ताओं को एकजुट किए हुए हैं। वहीं, यमुनोत्री विधानसभा में पूर्व जिलाध्यक्ष रहे और त्रिवेंद्र सरकार के दौरान राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले रामसुन्दर नौटियाल व जगवीर भंडारी भी दावेदारी कर रहे हैं। जगवीर भंडारी 2012 में भी भाजपा की ओर से यमुनोत्री सीट पर प्रत्याशी रहे हैं और तब पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी। यमुनोत्री विधानसभा गंगा और यमुना घाटी में फैली है, जहां गंगा घाटी में विधानसभा के 70 फीसदी वोटर निवासरत हैं तो वहीं यमुनाघाटी में केवल 30 फीसदी वोटर। ऐसे में यमुना घाटी में ही दोनों पार्टियों से दर्जनभर दावेदार चुनावी ताल ठोंकने को तैयार है लिहाजा यमुनोत्री विधानसभा में जीत के लिए गंगा घाटी से संबंध रखने वाले प्रत्याशी पर दांव खेलना ही कांग्रेस व भाजपा के लिए जीत की गारंटी साबित हो सकता है। फिलहाल रामसुन्दर नौटियाल ही गंगा घाटी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी संगठन में मोटा प्रोफाइल रखने वाले रामसुन्दर नौटियाल का पिछले 30 सालों से गंगा घाटी कार्यक्षेत्र रहा है जहां वह पत्रकारिता और पार्टी संगठन के जरिए लोगों की समस्याओं को लेकर काम कर रहे हैं।
कांग्रेस में रार – कांग्रेस में 2017 में संजय डोभाल ने चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे थे लिहाजा खुद को स्वाभाविक प्रत्याशी मान वह पांच सालों से विधानसभा में खूब पसीना बहा रहे थे लेकिन पिछले हफ्ते एक नाटकीय घटनाक्रम में कांग्रेस हाईकमान ने यमुनोत्री विधानसभा में चुनावी तैयारियों में लगे उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजलवाण को पार्टी में शामिल करवाकर उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। इसके विरोध में जिले का कांग्रेस संगठन और संजय डोभाल के समर्थक लगातार अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं तो वहीं वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में फंसे जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजलवाण को राज्य सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया जिसके खिलाफ फिलहाल दीपक बिजलवाण हाईकोर्ट की शरण लिए हुए है। लेकिन यमुनोत्री में कांग्रेस के बीच इस कलह ने भाजपा के लिए जीत की राह भी प्रशस्त कर दी है।
सूरत-ए-हाल गंगोत्री
गंगोत्री विधानसभा के बारे में मिथक है कि उत्तर प्रदेश के दौर से ही जिस भी पार्टी के प्रत्याशी ने यह सीट जीती उस पार्टी के हिस्से राज्य की सत्ता आई है। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से गोपाल सिंह रावत ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक को भारी मतों से पराजित कर जीत दर्ज की तो राज्य में भाजपा की सरकार बनी। अप्रैल 2021 में कैंसर से लड़ते हुए गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत का निधन होने के बाद यह सीट रिक्त चल रही है। उनके निधन के बाद से ही इस सीट पर एक दर्जन से अधिक दावेदार भारतीय जनता पार्टी से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। भाजपा हाईकमान फिलहाल दिवंगत विधायक गोपाल सिंह रावत की धर्मपत्नी शांति रावत, पूर्व दर्जाधारी रहे सूरतराम नौटियाल के नामों पर विचार कर रहा है। पूर्व दर्जाधारी सूरतराम नौटियाल ने 2017 में टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और 10 हजार के करीब वोट जुटाए थे। 75 पार उम्र होने के बावजूद भी सूरतराम नौटियाल अपने समर्थकों के बूते इस बार भी दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, गोपाल सिंह रावत की पत्नी शांति रावत अपने पति गोपाल रावत के विकास कार्यों और उनके निधन से पैदा हुई संवेदना के आधार पर जीत का दावा करते हुए दावेदारी कर रही है। उनके साथ गोपाल सिंह रावत का बड़ा समर्थक वर्ग होने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं व आम जन की संवेदना भी उनका पक्ष मजबूत कर रहा है। पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों की माने तो पार्टी के लिए शांति रावत का विधायक की विधवा होने के साथ ही महिला होने का भी फायदा मिलेगा और पार्टी अपने महिला कोटे को बढ़ाने के उद्देश्य से शांति रावत के नाम का एलान कर सकता है।
वहीं, कांग्रेस से फिलहाल दो बार विधायक रहे विजयपाल सिंह सजवाण ही इकलौता चेहरा हैं। हालांकि उनके भाजपा में जाने की अफवाहों ने भी जोर पकड़ा लेकिन हर बार उन्होंने खुद सामने आकर भाजपा में शामिल होने की अफवाहों का खंडन किया है। उनकी दावेदारी को कोई चुनौती न मिलने से गंगोत्री से विजयपाल सजवाण ही कांग्रेस का चेहरा होंगे यह तय हो चुका है। जबकि, आम आदमी पार्टी ने भी कर्नल सेवानिवृत अजय कोठियाल को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। कर्नल कोठियाल आम आदमी पार्टी की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार घोषित कर दिए गए हैं।