देहरादून। Fda(food department) उत्तराखंड के एक जिले में तैनात “लप्पूझरना” अफसर की कार्यप्रणाली ने अधीनस्थ अफसरों के सिर का दर्द ऐसा बढ़ाया हुआ है कि इस जिले में सारे के सारे कर्मचारी मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं। दफ्तर में घुसते ही ये अफसर, अधीनस्थ को एक के बाद एक ऐसे काम देता है मानो वो मशीन हो।
इतने तक भी सब ठीक था लेकिन जुल्म तो ये की अपनी बात को भी ये साहब सही तरह से कार्मिकों को समझा नहीं पाता। आप A बोलेगो तो वो B समझेगा। आप ने अगर A को छोड़ उसकी B वाली बात को समझ भी लिया तो तब तक ये साहब C वाली बात पर पहुँच जाते हैं। ऐसे में इस जिले के अधीनस्थों के लिए ये “लप्पूझरना” अफसर बड़ा वाला सिर दर्द साबित हो रहा है। कार्मिकों की तमाम कमी होने और बड़ा एवं राज्य का सबसे बड़ा जिला होने के बावजूद यह साहब किसी से हमदर्दी नहीं रखता। उल्टा कार्मिकों पर काम का बोझ लादने में लगा है। कोई कुछ कह दे तो अफसरों और मंत्री से चुगली को पहुँच जाता है।
हां, इन साहब की सबसे बड़ी खासियत ये है कि जिले के अफसरों को कोर्ट, vip, सैंपल भेजने आदि की जिम्मेदारी में ऐसा उलझाए रखता है कि खुद के लिए शहर को नापने का पूरा वक्त निकाल लेता है। हर चौथा दुकानदार, ब्रांडेड शो रूम मालिक इसको अच्छी तरह पहचानता है। इसकी हरकतों से भी वाकिफ है इसलिए देखते ही सलाम ठोक देता है जबकि जिस ओहदे पर साहब हैं उसमें दुकान दर दुकान भटकने की कोई जरूरत ही नहीं।