Dehradoon. प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ की एक आपात बैठक हुई जिसमें डा० पीयूष त्रिपाठी, डा० आलोक जैन, डा० रमेश कुवर, डा० सचिन चौबे, डा० प्रदीप राणा, डा० प्रताप रावत आदि ने प्रतिभाग किया।
बैठक में कहा गया कि सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ चिकित्सकों का वेतन डेढ़ गुना कर दिया है, इसके लिए सभी को बधाई। परन्तु कैसी विडम्बना है कि सराकर ने बहुत दुर्भाग्य पूर्ण तरीके से अपने विशेषज्ञ चिकित्सकों ऐसा कोई लाभ नहीं दिया। कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती कई माध्यमों से की जा रही है।
टी०एन०एम० से आउटसोर्स चिकित्सकों को 2 से 3 लाख प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है,
पी०पी०पी० में कार्यरत चिकित्सकों को भी 2 से 3 लाख प्रतिमाह तक वेतन मिल रहा है,
अब मेडिकल कॉलेज में कार्यरत चिकित्सकों को भी 1.5 से 2.5 लाख वेतन दिया जाएगा।
जबकि सरकार अपने विभाग में सेवा दे रहे चिकित्सक जो कि जिला चिकित्सालयों से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक तैनात हैं और ना केवल अपनी विशेषज्ञ सेवायें दे रहे हैं बल्कि पोस्ट मार्टम, वी०आई०पी०, आपातकालीन सेवायें भी दे रहे हैं जिन्होंने कोविड नियंत्रण में सरकार के हर आदेश का पालन करते हुए कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और उसे अंजाम तक पहुँचाया।
यहीं नहीं ये ही ऐसी सरकारी चिकित्सक राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सूचकांकों में सुधार के लिये दिन रात काम करते हैं संघ के सभी सदस्य चिकित्सक सरकारी विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ ऐसे सौतेले व्यवस्था से क्षुब्ध और आक्रोशित हैं उस पर भी कमाल ये कि जब सरकारी चिकित्सक पी०जी० करते जाते हैं तो उनका वेतन आधा कर दिया जाता है जो चिकित्सक पहले ही मात्र रू0 96000/- वेतन पा रहे थे उन्हे मात्र रू0 48000/- में गुजारा करना पड़ रहा है जबकि उनके द्वारा पर्वतीय क्षेत्र में सेवा देने का बॉन्ड भी भरा जा रहा है।
एक तरफ तो सरकार विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जूझ रही है वहीं दूसरी तरफ जो सेवायें दे रहे उनके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
संघ पुरजोर मांग करता है कि-
1. पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों को वेतन का 50 प्रतिशत भत्ता दिया जाय।
2. पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात सभी एम०बी०बी०एस० चिकित्सकों को 20 प्रतिशत पर्वतीय भत्ता दिया जाय।
3. पी०जी० अध्ययनरत चिकित्सकों को अध्ययन अवधि में पूर्ण वेतन दिया जाय।
अन्यथा की स्थिति में संघ को आन्दोलन हेतु बाध्य होना पड़ेगा