धामी सरकार में नहीं चल पाई मृत्युंजय मिश्रा की मनमानी, सरकारों को अपनी अंगुली पर नचाने वाले मृत्युंजय को सीएम धामी ने दिखाई असली जगह, ओएसडी बनाने का आदेश निरस्त
देहरादून। हर सरकार में अपनी धमक दिखाने वाले विवादित मृत्युंजय मिश्रा की इस बार धामी सरकार में नहीं चल पाई। हर सरकार को अपनी अंगुलियों में नचाने वाले मिश्रा को इस बार सीएम धामी ने उसकी असल जगह दिखाने का काम किया। पिछले डेढ़ दशक में हर सरकार में मिश्रा की तूती बोलती थी। सीएम धामी ने सख्ती दिखाते हुए मिश्रा को शासन में लाकर अटैच कर दिया।
मिश्रा का विवादों से पुराना नाता रहा है। निशंक सरकार में तकनीकी विश्व विद्यालय के विवाद, बवाल, हंगामे आज तक लोगों के जेहन में ताजा हैं। कांग्रेस सरकार में तत्कालीन प्रमुख सचिव की शह और सरकारों के चुप्पी साधे रखने से आयुर्वेद विश्वविद्यालय में इतने विवाद खड़े हुए की वो उनसे पीछा छुड़ाना आज तक मुश्किल हो रखा है।
मिश्रा का रसूख 2017 में आई त्रिवेंद्र रावत सरकार में और सर चढ़ कर बोला। सरकार ने विवादित मिश्रा को सीधे दिल्ली में अपर स्थानिक आयुक्त के बेहद अहम पद पर बैठा दिया। इतना ही नहीं, विश्वकर्मा बिल्डिंग के पांचवें तल पर शानदार कमरा तक आवंटित करने से सरकार ने गुरेज नहीं किया। इसके खिलाफ सचिवालय संघ ने मोर्चा भी खोला। विरोध को देखते हुए कमरे के बाहर लगी मिश्रा की नेम प्लेट को तत्काल हटा लिया गया। पहले मिश्रा पर प्यार लुटाने वाली सरकार ने बाद में सलाखों के पीछे भेज दिया।
धामी सरकार आने के बाद मिश्रा ने मुख्यधारा में लौटने के तमाम जतन किए। इस काम में कई नौकरशाहों ने भी ऐड़ी चोटी का जोर लगाया। ओएसडी आयुष बनाने का आदेश तक जारी करा दिया। लेकिन मामला संज्ञान में आने के महज कुछ घंटों के भीतर ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने न सिर्फ आदेश निरस्त करवा दिया, बल्कि आयुर्वेद विवि को मिश्रा की छाया से बाहर निकाल मिश्रा को शासन में ही अटैच कर जमीन पर लाने जरा भी देरी नहीं लगाई। मिश्रा के जीवन में ये पहला मौका है, जब उसकी दाल किसी सरकार में नहीं गल पाई। सीएम धामी की इस सख्ती से अब वो नौकरशाह भी सकते में हैं, जिन्होंने मिश्रा को ओएसडी बनाने के आदेश किए।