देहरादून। देहरादून पुलिस के भी गजब हाल हैं। सुधोवाला में प्रतिबंधित दवाओं का जखीरा पकड़े जाने का ढोल तो पुलिस खूब बजा रही है लेकिन पर्दे के पीछे के सच को सस्ती पब्लिसिटी पाने के लिए दरकिनार किया जा रहा है। दरसअल, इस मामले में पुलिस की पूरी कार्रवाई ही झोल से भरी हुई है। दरअसल, पुलिस प्रतिबंधित दवाओं की लिमिट से अत्यधिक का जो जखीरा पकड़ने की बात कह रही है, उसमें पुलिस के द्वारा नारकोटिक्स एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है जबकि नारकोटिक और साईकोट्रोपिकाल दवाओं की लिमिट की जिस आड़ को लेकर पुलिस ने कार्रवाई की उसके बारे में नारकोटिक्स एक्ट कुछ कहता ही नहीं है। यह लिमिट ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में तय की गई है। ऐसे में पुलिस ने हल्की पब्लिसिटी पाने के लिए कार्रवाई तो कर दी है लेकिन जानकारों का कहना है कि कानून की नजर में यह मामला कहीं टिकेगा नहीं।
पुलिस की करामात केवल यहीं तक सीमित नहीं रही। चूंकि, नशे की रोकथाम पब्लिसिटी पाने का एक आसान तरीका बन चुका है तो इस मामले में पुलिस ने अपने ही adg द्वारा उच्चत्तम न्यायालय के आदेशों के परिपेक्ष्य में जारी किए गए उनके आदेश पत्र को भी दरकिनार करने में देर नहीं लगाई। आपको बता दें कि वर्ष 2022 में बकायदा पुलिस मुख्यालय में adg ने आदेश किये हैं ड्रग्स एक्ट में केवल ड्रग इंस्पेक्टर को ही कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त है। पुलिस अधिकारी की इस एक्ट में fir, जांच और यहां तक कि गिरफ्तारी हेतु कोई शक्तियां प्राप्त नहीं है। एक और बड़ा सवाल, इस पूरे मामले में यह भी है कि अगर पुलिस ने कार्रवाई की भी तो क्यों नहीं मौके पर ड्रग इंडपेक्टर को बुलाया गया। कुल मिलाकर यह मामला भी हमेशा की तरह पुलिस की बुनि कहानी की ही तरह है।
छह अधिकारियों पर 13 जिलों का काम, दून में तैनात ड्रग इंस्पेक्टर देहरादून के साथ ही उधमसिंहनगर जिले की भी है जिम्मेदारी
देहरादून। उत्तराखंड में नशे का कारोबार यूं ही नहीं पनप रहा। दरअसल, जिस विभाग के पास इसकी रोकथाम की जिम्मेदारी है उसके पास साधन तो छोड़िए अफसर और स्टाफ उंगलियों में गिनने लायक है। उत्तराखंड के ड्रग कंट्रोल विभाग के पास अभी वर्तमान में केवल छह ही अधिकारी हैं जो फील्ड में हैं। जिनमें डॉ सुधीर कुमार adc इंचार्ज हैं जो कि fda हेड क्वार्टर देहरादून में लाइसेंसिंग ऑथोरिटी गढ़वाल में सेल्स की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं तो सीनियर ड्रग इंस्पेक्टर मीनाक्षी बिष्ट पर चार जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत और पिथौरागढ़ का जिम्मा है तो चंद्र प्रकाश नेगी के पास भी चार जिलों उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग एवं चमोली जबकि नीरज कुमार के पास राज्य के दो सबसे बड़े जिलों देहरादून व उधमसिंहनगर की तो ड्रग इंडपेक्टर अनिता भारती एवं मनेंद्र सिंह राणा के पास क्रमशः हरिद्वार एवं रुड़की की जिम्मेदारी है। ड्रग कंट्रोलर ताजबार सिंह जग्गी का कहना है कई बार नए ड्रग इंस्पेक्टर्स की भर्ती को आयोग को लिखा जा चुका है। कुल 33 ड्रग इंस्पेक्टर की भर्ती का प्रस्ताव भेजा गया है।