“लीक पर वें चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं”
किसी कवि की ये पंक्तियां उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर सटीक बैठती हैं। अपनी कार्यशैली से उन्होंने साबित कर दिया है कि वे पुरानी लीक पर चलने वाले मुख्यमंत्री नहीं बल्कि खुद नई लीक बनाने का पूरा दमखम रखते हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद यूं तो धामी ने तमाम दमदार फैसले लिये लेकिन युवाओं की नौकरियों पर डाका डालने वाले नकल माफिया पर नकेल कस कर उन्होंने समूचे देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। अब विधानसभा में बीते कई वर्षों से नौकरियां देने में हो रहे गड़बड़झाले पर धामी ने आंखें तरेर ली हैं। ये धामी की ही पहल का असर रहा कि शनिवार को विदेश दौरे से लौटीं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को देहरादून पहुंचते ही पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश देने में कोई संकोच नहीं हुआ।
उत्तराखण्ड में अपात्रों को सरकारी नौकरी देने का चलन सा बन गया था। विधानसभा में स्पीकर अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर अपने करीबियों को नौकरी बांट रहे थे तो नकल माफिया ने ‘उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग’ की परीक्षाओं पर कब्जा कर रखा था। संगठित गिरोह बनाकर पैसे के एवज में नौकरियां बेची जा रही थीं। विधानसभा में अपने अपनों को रेवड़ियां बांटने का गोरखधंधा वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड के पृथक राज्य बनते ही शुरू हो गया था और फिर वर्ष 2014 में ‘उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग’ के गठन के साथ नकल माफिया की पौ बारह हो गई। सरकारें बनीं, बदलीं लेकिन नौकरियां बांटने और बेचने का कारोबार बदस्तूर जारी रहा। ‘अपात्र’ नौकरी पाते रहे और ‘पात्र’ के हिस्से में सिर्फ निराशा आती रही। ये काम इतने शातिराना तरीके से हुए कि धामी सरकार का राज शुरू होने पर भी संगठित अपराधी करतूत करने से नहीं चूके। दिसम्बर 2021 में हुई समूह ‘ग’ की भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर पेपर लीक कर नौकरियों की सौदेबाजी की गई। बेरोजगार युवा संघ में इसकी शिकायत मुख्यमंत्री धामी से की तो उन्होंने देर किए बगैर एसटीएफ को मामले की जांच के आदेश दे दिए। पुलिस महानिदेशक को बुलाकर दो टूक आदेश दिए कि एक भी दोषी बख्शा नहीं जाना चाहिए। मुख्यमंत्री की सख्ती का ही असर है कि एसटीएफ नकल गिरोह के 33 सदस्यों को गिरफ्तार कर माफिया की कमर तोड़ चुकी है। आयोग के अध्यक्ष इस्तीफा दे चुके हैं और सचिव को सस्पेंड कर दिया गया है। तफ्तीश तेजी से आगे बढ़ रही है। इसी बीच विधानसभा सचिवालय में करीबियों को नियुक्ति देने का मामला भी सोशल मीडिया में उछलने लगा। अवैध तरीके से नौकरी पाने वाले अपात्रों की सूची के साथ विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों के कारनामे वायरल होने लगे। चूंकि मामला विधानसभा अध्यक्ष के कानूनी अधिकार क्षेत्र का था जिससे सरकार के हाथ बंधे थे। फिर भी मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को पत्र लिखकर नियुक्तियों में हुए भाई भतीजेवाद और फर्जीवाड़े की जांच करने और अवैध नियुक्तियों को तत्काल निरस्त करने का आग्रह करके सबको चौंका दिया। उनका यह कदम लीक से हटकर है। अब तक के मुख्यमंत्री बाखबर होते हुए भी ‘सब चलता है चलता रहेगा’ की सोच से बंधे रहे। बीते कुछ दिनों से विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी विदेश दौरे पर थीं। शनिवार को देहरादून लौटते ही उन्होंने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की और विवादित सचिव को फोर्स लीव पर भेज दिया। कार्रवाई इतनी सख्ती से की गई कि सचिव का दफ्तर तक सील करवा दिया गया। जांच कमेटी को हर हाल में एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। सबसे अहम बात है कि इस कार्रवाई में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को सीएम धामी का पूरा सपोर्ट मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों के भीतर नौकरी बेचने के कारोबार में लगे राजनेता और नकल माफिया की जिस तरीके से घेराबंदी हुई है उससे युवाओं में उम्मीद बंधी है कि भविष्य में उनके हक सुरक्षित रहेंगे। ताबड़तोड़ कार्रवाई से धामी सरकार पर जनता का विश्वास और बढ़ा है।
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