देहरादून। उत्तराखंड के छात्रसंघ चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपना परचम लहरा दिया है। पूरे राज्य में परिषद के 56 अध्यक्ष, 46 महासचिव समेत कुल 327 पदों पर कब्जा जमाया। चुनावों में युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी के युवाओं में मौजूद क्रेज का खासा असर देखने को मिला। इसका प्रभाव ये रहा कि कांग्रेसी युवा संगठन एनएसयुआई चारों खाने चित रहा। एनएसयूआई से कहीं अधिक बेहतर प्रदर्शन को निर्दलीय संगठनों का रहा।
उत्तराखंड के सवा सौ के करीब कैंपस परिसर, कालेजों में भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी ने एकतरफा प्रचंड जीत दर्ज की। अध्यक्ष और महासचिव के सबसे अधिक पदों पर जीत दर्ज की। निर्दलीय छात्र संगठन दूसरे नंबर पर रहे। एनएसयूआई की खराब हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो एबीवीपी तो दूर निर्दलीय संगठनों की भी बराबरी नहीं कर पाई। उसे तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। जबकि 19 कालेज निर्दलीय प्रत्याशी जीत पाए। एनएसयूआई का आंकडा 13 के पास जाकर सिमट गया।
एबीवीपी की इस जीत में सीएम धामी का जलवा खासा असरदार रहा। युवाओं में सीएम के क्रेज और सरकार की युवाओं को ध्यान में रख तैयार की गई नीतियों का खासा प्रभाव इस चुनाव में देखने को मिला। छात्रों, खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने को तैयार की गई नीतियों के कारण युवा परिषद से जुड़ते चले गए। इसका सीधा असर छात्रसंघ चुनावों में एबीवीपी की प्रचंड जीत के रूप में सामने आया है। कांग्रेस को अपनी इस हार का अंदाजा पहले ही हो गया था। एक दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा का छात्रसंघ चुनावों को लेकर एक ऑडियो वॉयरल हुआ था। जिसमें वे अपने ही छात्र संगठन एनएसयूआई पदाधिकारियों पर पार्टी अध्यक्ष की अनदेखी करने पर भड़के हुए नजर आ रहे थे। मंगलवार को सामने आए नतीजों ने एकबार फिर कांग्रेस की भीतरी कलह की कलई खोल दी है।