उत्तराखंड में इस बार इतिहास रच गई 16 सितंबर की तारीख,
सीएम पुष्कर धामी को लेकर राज्य से लेकर केंद्र तक गया बड़ा संदेश, जनता के बीच पुष्कर की गहरी पैठ का अहसास करा गई ये तारीख, 22 साल के इतिहास में आम जन ने ही खींच दी एक लंबी लकीर
देहरादून। इस बार 16 सितंबर की तारीख पिछली सभी 16 सितंबर से बहुत अलग और खास साबित हुई। उत्तराखंड में इस बार ये 16 सितंबर एक इतिहास रच गई। सीएम पुष्कर धामी को लेकर राज्य से लेकर केंद्र तक एक बड़ा संदेश गया। इस तारीख ने जनता के बीच पुष्कर धामी की गहरी पैठ का अहसास करा दिया। 22 साल के इतिहास में आम जन ने ही अपने नेता को लेकर एक ऐसी लंबी लकीर खींच दी, जिसके राज्य की सियासत में बड़े मायने हैं।
15 सितंबर से ही पूरे राज्य में क्या मुख्य सड़कें और क्या गली मोहल्ले की अंदरुनी सड़कें, हर जगह पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने चहेते सीएम पुष्कर धामी के जन्मदिन से जुड़े बैनरों से पाट दीं। हर धर्म, जाति, समुदाय के लोगों ने अपने अपने स्तर पर आयोजन आयोजित किए। कहीं गरीब बच्चों को फलों का वितरण किया गया, तो कहीं रक्तदान शिविर आयोजित किए गए। पूरे राज्य में हर जगह लोग अपने चहेते सीएम को अपने अपने अंदाज में बधाई देते नजर आए।
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यही है कि कहीं भी कुछ पूर्व नियोजित नहीं था। पार्टी संगठन के स्तर पर तो कार्यकर्ताओं का जश्न मनाना समझ आता है, लेकिन आम जन का सीएम पुष्कर धामी के जन्मदिन को एक जश्न के रूप में मनाया जाना, सभी को चौंका रहा है। क्या पक्ष और क्या विपक्ष, आम जन के इस रवैये से सकते में हैं। क्योंकि राज्य गठन के बाद 22 सालों में ये पहला मौका है, जब आम जन में अपने मुखिया के प्रति इस तरह का अपनत्व नजर आया हो। अभी तक बड़े नेताओं के जन्मदिन के आयोजन उनके अपने निजी सहयोगियों तक ही सीमित रहते थे।
पार्टी में भी अपने ही लोग आयोजन से जुड़ते थे, लेकिन कभी भी आम जन और सामाजिक संगठनों के स्तर पर ऐसा उत्साह देखने को नहीं मिला। इस बार सीएम पुष्कर के जन्मदिन पर सीएम आवास के दरवाजे आम जन के लिए पूरी तरह खोल दिए गए। आम जन समेत सामाजिक संगठनों के लोग भी सीधे अपने राज्य के मुखिया से सीधे मिले। ऐसा नहीं है कि सीएम आवास खुले रहने की जानकारी आम जन को पहले से रही हो, बल्कि आम जन की भारी भीड़ को देखते हुए आवास के दरवाजे आम जन के लिए खोले गए।
जानकार इसे आम जन में सीएम पुष्कर धामी की बढ़ती गहरी पैठ से जोड़ कर देख रहे हैं। जिस तरह पुष्कर धामी ने सिर्फ अपने छह महीने के कार्यकाल की ही बदौलत भाजपा की प्रचंड बहुमत से वापसी कराई, ये उनके करिश्माई नेतृत्व के बूते ही संभव हो पाया। यही वजह रही, जो केंद्रीय नेतृत्व ने भी आम जन में पुष्कर धामी की इस पकड़ को भांपते हुए पुष्कर पर ही विश्वास जताया। उन्हें ही दोबारा राज्य की कमान सौंपी। पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समेत हर खासोआम की पुष्कर पहली पसंद बने हुए हैं। केंद्रीय नेतृत्व को पुष्कर में अपना भावी नेतृत्व भी नजर आ रहा है।