सियासी दलों में भ्रष्ट और अपराधी तत्वों की बढ़ती घुसपैठ लोकतंत्र के लिए बेहद हानिकारक है। ये घुसपैठिए अपने कारनामों से कई बार सरकार के सामने अप्रत्याशित चुनौतियां खड़ी कर देते हैं। बैठे बिठाए विपक्ष के हाथ मुद्दा लग जाता है और आक्रोशित जनता सड़कों पर उतर आती है। आजकल कुछ ऐसे ही तत्वों से उपजी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।
पहले भर्ती परीक्षाओं पर नकल माफिया का कब्जा, फिर विधानसभा में नौकरियों की बंदरबांट और अब अंकिता हत्याकाण्ड! ये वो संवेदनशील मुद्दे हैं जिन्हें धामी सरकार की परीक्षा के तौर पर भी देखा जा रहा है। चूंकि इन मुद्दों से जनभावना, जनसुरक्षा और जनहित जुड़े हुए हैं तो यह गौर करना जरूरी हो जाता है कि मुख्यमंत्री दोषियों पर किस तरह का एक्शन ले रहे हैं। उनका एक्शन ‘निष्पक्ष जांच’ और ‘कठोर दण्ड’ की कसौटी पर कसा जा रहा है।
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प्रदेश में समूह-ग की भर्तियों के लिए 17 सितंबर 2014 को तत्कालीन हरीश रावत सरकार में अस्तित्व में आए ‘उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग’ की भर्ती गड़बड़ियों पर सरकार पहले चेत जाती तो आज यह भर्ती घोटाला नासूर न बनता। वर्तमान धामी सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक्शन लिया और अब तक 41 घोटालेबाज सलाखों के पीछे जा चुके हैं। धामी को जब यह पता चला कि इस नकल माफिया गिरोह में भाजपा का एक जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह भी संलिप्त है तो उन्होंने डीजीपी को हर एक दोषी पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए। मौजूदा समय में इस संगठित गिरोह के अधिकांश सदस्य सलाखों के पीछे हैं। उन पर गैंगेस्टर जैसी धाराओं में मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। अपराधिक कृत्य से अर्जित की गई उनकी सम्पत्ति को ईडी के जरिए जब्त करने की पहल हो चुकी है।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी को पत्र लिखकर नियुक्तियों में हुए भाई भतीजेवाद और फर्जीवाड़े की जांच करने और अवैध नियुक्तियों को तत्काल निरस्त करने का आग्रह करके सबको चौंका दिया। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द कर दीं गईं। विधानसभा सचिव को भी सस्पेंड कर दिया गया। किसी मुख्यमंत्री के लिए इस तरह के मामलों में कार्रवाई की पहल करना इतना आसान नहीं होता क्योंकि रद्द की गईं 250 नियुक्तियों में से 72 तदर्थ नियुक्तियां 2021 में भाजपा शासनकाल में ही हुई थीं। फिर भी उन्होंने पूरी निष्पक्षता से मामले की जांच करने और नियमों के विरुद्ध हुई नियुक्तियों को निरस्त करने की ठोस पहल की।
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रूह कंपा देने वाले अंकिता हत्याकाण्ड की पुलिस तफ्तीश में रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य और उसके दो मैनेजर हत्यारे निकले। पुलकित आर्य का पिता विनोद आर्य पूर्व दर्जाधारी राज्य मंत्री था जबकि उसका भाई अंकित आर्य मौजूदा समय में उत्तराखण्ड पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष था। दोनों ही भाजपा के सदस्य थे। यह तथ्य सामने आते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सख्त हो गए। उन्होंने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश दिए। इसके साथ ही इस हत्याकाण्ड को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की पहल की ताकि आरोपियों को जल्दी से जल्दी सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके। इधर, भाजपा ने भी मुख्य आरोपी पुलकित के पिता विनोद आर्य और भाई अंकित आर्य को तत्काल भाजपा से निष्कासित कर दिया है। अंकित आर्य को उत्तराखण्ड पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। कुछ दिनों पहले तक रसूख और रुआब दिखाने वाला पुलिकत का परिवार आज सख्त कार्रवाई की डर से भागे-भागे फिर रहा है।
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