देहरादून
रतूड़ी वंशम की ओर से आज रविवार को रिंग रोड स्थित एक वेडिंग पॉइंट में भ्रात मिलन व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान रतूड़ी वंशम को मजबूत करने में जोर दिया गया। वहीं मुख्य अतिथि पूर्व डीजीपी उत्तराखंड अनिल रतूड़ी और उनकी धर्म पत्नी अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की ओर से पूर्व डीजीपी उत्तराखंड अनिल रतूड़ी की ओर से लिखित भंवर पुस्तिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
रतूड़ी वंशम की ओर से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व डीजीपी उत्तराखंड अनिल रतूड़ी और उनकी धर्मपत्नी अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के अलावा धर्म एवं संस्कृति सचिव विनोद रतूड़ी की ओर से दीप प्रज्वलित कर किया।
इस मौके पर पूर्व डीजीपी उत्तराखंड अनिल रतूड़ी ने कहा कि पुलिस में आने से पहले में साहित्य का छात्र रहा। कहा कि वर्दी पहनने के बाद अपने सिदान्त होते हैं। वर्दी पहनने के बाद अनुशासन होता है। में तीन दशक तक अनुसाशन में रहा। कहा कि मैने पुलिस की ड्यूटी में रहते हुए साहित्य में काम किया। कहा कि जब कोरोना काल के चलते लॉकडाउन हुआ तो मेरे दिल में आया कि मुझे क्या करना चाहिए। फिर विचार आए। फिर उस विचार को लेकर मैंने एक भवंर पुस्तक लिखी। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की ओर से कहा गया कि सन 2021में भंवर पुस्तक का विमोचन हुआ था। इस पुस्तिका में महिला और पुरुष का किरदार समान है। इस पुस्तिका में उत्तराखंड की संस्कृति को दिखाया गया है। इस पुस्तिका में बेहतर समाज की बात है। उन्होंने अपील की है कि इस पुस्तक को अपने रतूड़ी समाज से जूड़े परिवार को बताएं। इसके अलावा अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि हम बेटियों को नेगलेट करते हैं। लेकिन बेटों को समझते नहीं हैं। बेटों को ये बात बतानी जरूरी है कि क्या सही है और क्या गलत है। बेटों को सही और गलत के बारे में शुरू से ही बताना चाहिए। इस मौके पर पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव शासन विनोद रतूड़ी के अलावा अन्य पदाधिकारियों और सदस्यों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर सचिव संस्कृति विनोद रतूड़ी ने कहा कि रतूड़ा गांव में मेरा मकान बन रहा है। मैं चाहता हूं कि मेरे मकान के शुभारंभ के दौरान रतूड़ी वंशम की की मीटिंग मेरे गांव में हो।
कार्यक्रम के दौरान विद्यादत्त रतूड़ी, नलनी रतूड़ी, गोपाल दत्त रतूड़ी, नरेश रतूड़ी, लक्ष्मी प्रसाद रतूड़ी, रमेश रतूड़ी, सत्य प्रसाद रतूड़ी, पुष्पा रतूड़ी, रोशन रतूड़ी, जगदीश प्रसाद रतूड़ी, नरेश रतूड़ी, संजय रतूड़ी, रामचंद्र रतूड़ी, विपुल रतूड़ी, सत्य प्रसाद रतूड़ी, रमेश रतूड़ी, आशीष रतूड़ी पुष्पा रतूड़ी आदि मौजूद रहे।