*कांग्रेस की जनता को गढ़वाल-कुमाऊं में बांटने की ओछी राजनीति*
*गढ़वाल में भाजपा का दबदबा: 6 कैबिनेट मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष सभी गढ़वाल से!*
*आपदा में कांग्रेस सत्ता की सस्ती राजनीति में उलझी*
*सोशल मीडिया पर गढ़ा जा रहा गढ़वाल के नेताओं की अनदेखी के झूठा नैरेटिव*
*गढ़वाल के गणेश गोदियाल को किनारे कर कुर्सी कुमाऊं को दी, अब वहीं गढ़वाल का रोना*
*कुमाऊं हो या गढ़वाल डबल स्पीड से दौड़ रहा भाजपा का विकास इंजन*
उत्तराखंड इन दिनों आपदा की मार झेल रहा है, लेकिन कांग्रेस को जनता की चिंता नहीं, बल्कि झूठे नैरेटिव गढ़ने का नशा चढ़ा है। गढ़वाल बनाम कुमाऊं का नया खेल सोशल मीडिया पर फैलाकर कांग्रेस सत्ता की सस्ती राजनीति कर रही है। पोस्ट वायरल कराई जाती है कि “गढ़वाल के नेताओं के खिलाफ साजिश हो रही है” और फोटो डाल दिए जाते हैं भाजपा के बड़े नेताओं के। मतलब साफ़ है जनता के बीच अफवाह फैलाओ और सत्ता पक्ष को आपस में लड़ाओ।
लेकिन सच क्या है? सच यह है कि गढ़वाल से ही सबसे ज्यादा कैबिनेट मंत्री सरकार में हैं धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, सौरभ बहुगुणा और गणेश जोशी। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण भी गढ़वाल से आती हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल गढ़वाल से ही थे। भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी गढ़वाल से हैं। फिर उपेक्षा कहां हुई? कांग्रेस का यह रोना-धोना सिर्फ जनता को बरगलाने का नया हथकंडा है।
विडंबना देखिए जो कांग्रेस आज गढ़वाल के नाम पर मगरमच्छ के आंसू बहा रही है, उसी कांग्रेस ने गढ़वाल के गणेश गोदियाल को अपमानित कर किनारे लगाया और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी कुमाऊं के करण माहरा को थमा दी। जब खुद अपने संगठन में गढ़वाल की आवाज़ दबा दी, तब दूसरों पर आरोप लगाने का यह ड्रामा सिर्फ हास्यास्पद है।
और जिन नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, उनकी साख का अंदाजा कांग्रेस को शायद है ही नहीं। त्रिवेंद्र सिंह रावत न सिर्फ मुख्यमंत्री रह चुके हैं, बल्कि आज सांसद हैं। अनिल बलूनी सिर्फ राज्यसभा सांसद ही नहीं, बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी हैं। लोकसभा चुनाव में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनके क्षेत्र में जाकर प्रचार कर चुके हैं, और नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल को करारी हार झेलनी पड़ी। अब ऐसे में साजिश का रोना कांग्रेस की हताशा के अलावा और क्या है?
हकीकत यह है कि विकास कार्यों का सबसे बड़ा फोकस गढ़वाल पर ही है सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन सबमें गढ़वाल आगे है। लेकिन कांग्रेस की आंखों पर सत्ता की ललक की पट्टी बंधी है, जिसे सिर्फ झूठ, भ्रम और अफवाहें ही दिखाई देती हैं। जनता सब समझ रही है आपदा की घड़ी में भी जो पार्टी सस्ती राजनीति करने से बाज़ न आए, उस कांग्रेस की असली तस्वीर अब साफ़ नज़र आ रही है।
