मंगलवार को दिल्ली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुई मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है। इस दौरान धामी ने प्रधानमंत्री के सामने उन विकास परियोजनाओं को लेकर उत्तराखण्ड का पक्ष मजबूती से रखा जो लंबित पड़ी हुई हैं। खासतौर पर 44 जल विद्युत परियोजनाओं को फिर से शुरू करने की पुरजोर वकालत उन्होंने की। विकास कार्यों से इतर राजकाज और कामकाज के लिहाज से भी इस मुलाकात के मायने निकाले जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उन चुनिंदा मुख्यमंत्रियों में से एक हैं जो प्रधानमंत्री मोदी के पसंसदीदा माने जाते हैं। धामी पर उन्हें कितना भरोसा है यह वे सार्वजनिक मंचों से कई बार जाहिर कर चुके हैं। प्रदेश हो या प्रदेश से बाहर जब भी मोदी मुख्यमंत्री धामी से मिलते हैं तो उनकी आत्मीयता देखते ही बनती है। दोनों के बीच गजब का तालमेल दिखाई देता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद जब भी धामी ने प्रधानमंत्री के सामने प्रदेश के विकास के लिए प्रस्ताव रखे हैं उन पर जरूर अमल हुआ है। कई बड़ी सौगातें उत्तराखण्ड को मिली हैं। अबकी बार भी मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी से लगभग एक दर्जन विभिन्न परियोजनाओं की स्वीकृति देने की विनती की। इसके अलावा उन्होंने पिछले 6 माह के दौरान सरकार के सरकार के कामकाज का ब्यौरा प्रधानमंत्री के सामने रखा। मसूरी में आयोजित हुए सशक्त उत्तराखण्ड@25 के क्रम में राज्य सरकार के रोडमैप को भी उन्होंने प्रधानमंत्री से साझा किया। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री धामी के बीच लगभग एक घण्टे तक चली इस मुलाकात से भाजपा में भी हलचल बढ़ गई है। दरअसल, उत्तराखण्ड में कैबिनेट विस्तार और पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकार में दायित्व वितरण के मामलों पर भी निर्णय लिया जाना है, इस लिहाज से भी यह मुलाकात महत्वपूर्ण है। धामी कैबिनेट में तीन पद रिक्त हैं। इसके अलावा कुछ मंत्रियों का अब तक संतोषजनक परफार्मेंस न होने की वजह से मंत्रिमण्डल में फेरबदल की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं। इसके अलावा संगठन में अच्छा कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को सम्मान के तौर पर सरकार में दायित्व देने की सुगबुगाहट भी काफी अरसे से चल रही है। कयास लगाए जा रहे थे कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव निपटने के बाद इन मामलों में फैसला होना है। अब सभी की निगाहें धामी के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।
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