ख़बर शेयर करें -

देहरादून। आखिरकार शनिवार को वह दिन आने वाले है जब शनिवार को दून का ऐतिहासिक रेंजर्स मैदान में पूरे प्रदेश के लोग उत्त्तराखण्ड लोक विरासत के साक्षी बनेंगे। इस लोक विरासत में वह तमाम कलाकार अपने रंग बिखेरेंगे जिनकी एक झलक पाने को उत्तराखंड के लोग लालायित रहते हैं। साथ ही उत्त्तराखण्ड के पारंपरिक लोक वाद्यों से भी नई पीढ़ी को रूबरू होने का मौका मिलेगा। तो बगैर देर किए शनिवार को इस महायोजन के शुभारंभ के साक्षी बनने के लिए पहुँच जाईये रेंजर्स मैदान।

चारधाम अस्पताल धर्मपुर के एमडी डॉ केपी जोशी की ओर से आगामी 5 और 6 नवम्बर को उत्तराखंड लोक विरासत का आयोजन किया जा रहा है। वहीं इस कार्यक्रम में उद्योग विभाग का भी सहयोग है। डॉ केपी जोशी ने कहा कि देहरादून अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के प्रति समर्पित है।
इन चिकित्सकीय दायित्वों का निर्वहन करते हुए हमें उत्तराखण्ड के हुनर और शिल्प की जानकारी मिलती रहती है। यहां अनेकों विलक्षण प्रतिभाएं हैं जो अपने विशिष्ट हुनर में पारंगत और दक्ष हैं लेकिन जिस सम्मान और पहचान के वे हकदार हैं वो उन्हें नहीं मिल पाता है। इस हेतु दिनांक 05 एवं 06 नवम्बर 2022 (शनिवार-रविवार) को रेंजर्स ग्राउण्ड देहरादून में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री धामी करेंगे शुभारंभ

इस कार्यकम का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे। उसके अलावा कार्यकम में अति विशिष्ट के तौर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी जी, लघु उधोग मंत्री चंदन राम दास जी, देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा जी हैं। इसके अलावा वहीं विशिष्ट अतिथि के तौर पर धर्मपुर विधायक विनोद चमोली जी, राजपुर विधायक खजांदास जी, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ जी, डोईवाला विधायक बृज भूषण गैरोला जी, कैंट विधायक सविता कपूर जी कार्यक्रम में आमंत्रित हैं।


कार्यक्रम के तीन हिस्से

लोक रंग इसके तहत उत्तराखण्ड लोक संगीत को मंच से प्रस्तुत किया जायेगा। उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोकगायन, पारम्परिक लोकवादन और पारम्परिक लोकनृत्य अर्थात् उत्तराखण्डी स्वर, ताल और नृत्य एक साथ मंच पर देखने को मिलेंगे। उत्तराखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों से आये हुए पारम्परिक लोकगायक, लोकनर्तक और लोकवादक मंच से अपनी प्रस्तुतियां देंगे। प्रयास किया गया है कि इसमें उत्तराखण्ड की पांचों महत्वपूर्ण सांस्कृतिक इकाइयों-गढ़वाल, कुमाऊँ, जौनसार, रंगपा और र संस्कृति के लोकसंगीत को मंच मिले।
वहीं गीत संध्या : इस गीत संध्या में उत्तराखण्ड के जाने-माने कलाकारों के साथ नवोदित और उभरती लगभग 20 प्रतिभाएं एक मंच से अपनी प्रस्तुति देंगी। इसमें जहां गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी, पद्मश्री डॉ. प्रीतम भरतवाण और पद्मश्री बसन्ती बिष्ट जैसे उत्तराखण्ड के जानेमाने हस्ताक्षर अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे तो वहीं उत्तराखण्ड के प्रतिभाशाली युवा कलाकर भी अपने हुनर को प्रस्तुत करेंगे। साथ ही हस्तशिल्प प्रदर्शनी मैदान में उत्तराखण्ड के दूरस्थ गांवों के हस्तशिल्पियों के द्वारा निर्मित हस्तशिल्प की प्रदर्शनी भी रहेगी।
उत्तराखण्ड की पारम्परिक लोकसंगीत और शिल्प-कलाओं को न सिर्फ प्रशंसा, सम्मान और पहचान मिले साथ में इन्हें विस्तार भी प्राप्त हो। ये लोक कलाएं कलाकारों और शिल्पियों की आय और रोजगार का जरिया बनें। इन्हें प्रतिभा के अनुरूप प्रस्तुति प्रदर्शन और विक्रय के अवसर प्राप्त हों। योग्यतानुसार स्वरोजगार और आमदनी में वृद्धि हो सके। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यहां के लोक संगीत और शिल्प-कलाओं की पहचान स्थापित हो।

By amit