आयुर्वेद एवं यूनानी निदेशालय में कार्य बहिष्कार, आदेश निरस्त करने की मांग
बोले, वेतन आहरण पर लगाई रोक हटाई जाए
देहरादून: आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवा निदेशालय के मिनिस्टीरियल कर्मियों में वेतन आहरण पर रोक लगाए जाने के आयुष सचिव के आदेश से रोष व्याप्त है। मिनिस्टिीरियल कर्मचारियों ने इसे सचिव का तुगलगी फरमान बता बुधवार से कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज इस आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। कहा कि जब तक आदेश निरस्त नहीं किया जाता कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार पर रहने से विभागीय कार्य प्रभावित हुआ है।
आयुर्वेदिक एवं यूनानी मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री मुकेश काला का कहना है कि राज्य गठन के बाद से कर्मचारी निदेशालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिनका वेतन निदेशालय में रिक्त पदों के विरुद्ध नियमानुसार आहरित किया जाता रहा है। पर अब इसे अनियमित मानते हुए नौकरशाही ने कोषागार से वेतन आहरण पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है। कहा कि मंत्रीमंडल की बैठक में आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवा के अंतर्गत निदेशालय संवर्ग और अधीनस्थ कार्यालय संवर्ग के मिनिस्टिीरियल कर्मियों का विलय करते हुए एकीकरण नियमावली 15 मार्च 2022 को आयुष सचिव के हस्ताक्षर से ही निर्गत की गई थी। लेकिन इसके 16 दिन बाद आयुष सचिव ने ही निदेशालय में कार्यरत सभी मिनिस्टिीरियल कर्मियों को हटाते हुए उनका वेतन अधीनस्थ संवर्ग के पदों के विरुद्ध आहरित करने का निर्देश जारी कर दिया है।
इससे साफ है कि राज्य में नौकरशाही हावी है और मनमाने ढंग से आदेश जारी किए जा रहे हैं। कर्मचारियों में खौफ पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। काला का कहना है कि अफसरशाही इस कदर हावी हो चुकी है कि एकीकरण नियमावली प्रख्यापित होने के बाद विभागाध्यक्ष स्तर से प्रस्ताव प्राप्त किए बिना प्रदेशभर में मिनिस्टिीरियल कार्मिकों के पदों की स्थापना के आदेश अपने स्तर से जारी कर दिए जा रहे हैं। चेताया कि जब तक आयुष सचिव का आदेश निरस्त नहीं किया जाता है आंदोलन जारी रहेगा।