ख़बर शेयर करें -

#हमने_किया_है_आगे_भी_करके_दिखाएंगे
यूरोप के मार्केट व अमेरिका, पूरी दुनिया में #मारसा, #चौलाई, #रामदाना की बड़ी मांग है और उत्तराखण्ड इसके स्वभाविक और उच्च हिमालयी क्षेत्र, इसकी उच्च बुआई के क्षेत्र हैं और इसको नुक्सान भी प्रारंभिक दिनों में जरूर जानवर करते हैं, मगर एक बार यदि इसमें दाना आ जाता है तो फिर न चिड़ियाँ, न कोई इसको नुक्सान नहीं पहुंचा पाती है। हमारे यहाँ मारसा पैदा होता था, मगर उसका मूल्य ठीक नहीं मिल पाता था। बिकता था, मगर हमने दो कदम उठाये, एक कदम तो यह उठाया चौलाई के लड्डू #भगवान_शिव को बड़े प्यारे हैं तो हमने मदिरों में प्रसाद में चौलाई के लडुओं का प्रचलन बढ़ाया। बल्कि इस काम में हरिद्वार के कुछ संस्थाओं ने भी मेरा बड़ा साथ दिया। चौलाई की मांग बढ़ी लेकिन यह काफी नहीं था मूल्य संवर्धन के लिए, यह केवल इतना भर था कि चौलाई की मांग बढ़ने लगी। मगर चौलाई को कमर्शियल रूप लाभदायी बनाने के लिए हम चौलाई को प्रोसेस करके, किस तरीके से बेचें यह बड़ा सवाल था, क्योंकि यहाँ से औने-पौने दाम में सूरत आदि के व्यापारी चौलाई को ले जाते थे।
हमने रुद्रपुर में मण्डी को कुछ पैसा एकत्रित करवाया शराब की बिक्री से और मंडी से हमने एक प्रोसेसिंग प्लांट लगवाया और वो प्लांट लगा भी, मगर हमारे बाद आने वालों ने इस दिशा में चौलाई संवर्धन की कोई नीति आगे नहीं बढ़ाई। मुझे आश्चर्य होता है कि पालयन रोकने की बात बहुत कही गई, मगर जिनसे पलायन रुके, उन बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया गया। कांग्रेस सत्ता में आएगी फिर से हम इस दिशा में हो सका तो एक और चौलाई प्रोसेसिंग का प्लांट लगाएंगे। ताकि चौलाई के उत्पादन को जिसको हमने पहले ही बोनस की स्कीम में शामिल किया है, आगे भी उसके उत्पादन को बढ़ावा देंगे। पौधे के रूप में वो कैल्शियम का भण्डार है, उसकी सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है और दाने के रूप में रामदाने की मांग दुनिया भर की मार्किट मेंहै, हम उसको पकड़ेंगे ताकि हमारे उच्च हिमालयी क्षेत्र के किसानों को अच्छे दाम मिल सकें।
इन्तजार कीजिये 14 मार्च, 2022 का।
“जय हिंद, जय उत्तराखंड-जय उत्तराखंडियत”

By amit