स्व. गोपाल सिंह रावत जी हम में हमेशा जिंदा रहेंगे। 2007 में पहली बार विधायक के चुनाव में उतरकर विजयी साबित हुए, 2012 में भीतरघात से हारे लेकिन 2017 में बड़ी जीत के साथ वापसी की। 2021 में काल का ग्रास बने। ऐसा शख्स जिसका साथ पार्टी संगठन ने कभी न दिया उसके बावजूद भी आम जन के समर्थन से भारी बहुमत से वह शख्स जीता और रेकार्ड मतों से जीता। उनके निधन के बाद स्वाभाविक था कि उनकी विकास यात्रा को उनकी जीवन संगनी, उनकी राजनीतिक, जीवन यात्रा की साथी रही श्रीमती शांति गोपाल रावत जी ने आगे बढ़ाना था। यूं तो कोई लिखित शर्त नहीं है कि विधायक के निधन के बाद उनकी पत्नी को टिकट मिले लेकिन एक उच्च शिक्षित महिला, शिक्षिका पद से सेवानिवृत, राजनीतिक अनुभव रखने वाली महिला को टिकट देने से वंचित रखना और देहरादून कैंट में दिवगंत विधायक हरबंस कपूर की पत्नी को प्रत्याशी बना दिया।
खैर, पार्टी का अपना तंत्र है अपने नियम है। लेकिन, स्व. गोपाल सिंह रावत का चैप्टर हम खत्म नहीं होने देंगे। आज गंगोत्री विधानसभा में भाजपा का एक बड़ा वर्ग खुशियां मना रहा है गोपाल सिंह रावत का चैप्टर खत्म हो गया। लेकिन, पिलंग, सालंग जैसे गांवों में बन रही सड़के गोपाल सिंह रावत के होने का अहसास कराएंगी, गांव गांव में बने मंदिर, पर्यटन के क्षेत्र में 60 साल आम आदमी की आवाजाही लायक बनी गर्तांगली समेत ऐसे कई काम होंगे जो गोपाल सिंह रावत के होने का अहसास कराएगें।
गोपाल सिंह रावत हमेशा रहेंगे, जब भागीरथी नदी में बोटिंग करते हुए परिवार अपने खुशी के पल बिता रहे होंगे, वरूणावत पर्वत से पैराग्लाइडिंग करते हुए पर्यटक व स्थानीय गाइड उस उंचाई का रोमांच महसूस कर रहे होंगे, रैथल, डुंडा में बने ग्रोथ सेंटर में जब स्थानीय युवा अपनी रोजी रोटी की स्थाई व्यवस्थाओं में खुश होंगे, गांव गांव मोहल्ले मोहल्ले में जब सड़कों के जरिए लोग गाड़ियों से पहुंच रहे होंगे, हर घर तक बिजली पानी की पहुंच गोपाल रावत के होने का अहसास कराएगी।
गोपाल सिंह रावत थे और हमेशा रहेंगे।
श्रीमती शांति गोपाल रावत जी के साथ हम हमेशा होंगे।
उत्तरकाशी के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुशवाल की फेसबुक वॉल से