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#जान जोखिम में डालकर पढ़ाई#

तस्वीरें किसी दुर दराज क्षेत्र की नहीं बल्कि विधानसभा कैंट के कौलागढ़ वार्ड की हैं। एफआरआई प्रशासन की मनमानी के चलते स्कूल के बच्चे इस तरह नुकीले सरिया लगे गेट पर चढ़कर स्कूल आना-जाना कर रहे हैैं ऐसे में कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है।

 

सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जोशी ने बताया कि एफआरआई परिसर में रहने वाले परिवारों के बच्चे कौलागढ़ के अलग-अलग स्कूलों में पढ़ने के लिएं चरखी गेट से आना जाना करते हैं लेकिन एफआरआई प्रशासन द्वारा चरखी गेट को नही खोला जा रहा है जबकि पहले ये गेट सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता था स्कूली बच्चों के अलावा कौलागढ़ क्षेत्र से कई कर्मचारी संस्थान में कार्यरत हैं उनको भी मुख्य गेट से घुम कर जाना पड़ता है चरखी गेट पहले जब खुला रहता था तब ये कर्मचारी इसी गेट से कार्यालय जाते थे और दोपहर में लंच के लिए भी आते थे लेकिन चरखी गेट न खुलने से अब ये शाम को ही वापस आते हैं की लोगों के बैंक खाते भी परिसर में स्थापित बैंक में हैं चरखी गेट न खुलने से उनको भी बडी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

परिसर में रहने वाले परिवारों को रोजमर्रा का सामान भी कौलागढ़ के दुकानदार इसी बंद गेट से पार करते हैं जबकि एफआरआई कौलागढ़ की जमीनों पर बनाया गया है निर्माण के समय प्रसिद्ध गांधी वादी स्वतन्त्रता सेनानी स्व श्री नारायण दत्त डंगवाल जी और गांव के सम्मानित नागरिकों के साथ अंग्रेजी हुकूमत का करार हुआ था कि चरखी गेट गांव वालोंं के लिए हमेशा खुला रहेगा कभी भी किसी कौलागढ़ वासी को आने जाने से रोका जायेगा ये हद ही हो गई कि अंग्रेजी हुकूमत तो के समय में कोई रोक-टोक नहीं थी लेकिन अपने ही देश वालों ने पाबन्दी लगा दी है ।

By amit