प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने चिकित्सको की लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने पर नाराजगी व्यक्त की
आज संगठन की बैठक की गई जिसमें यह निर्णय लिया गया कि प्रतिनिधिमंडल स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत से मुलाकात करेगा तथा यदि मांगें निश्चित समय में पूरी पूरी नहीं होती हैं तो आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा
प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी की शनिवार को आपात बैठक आयोजित की गई। प्रांतीय अध्यक्ष डा. मनोज वर्मा व प्रांतीय महासचिव डा. रमेश कुंवर ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद भी चिकित्सकों की एक भी मांग पूरी नहीं हुई है। डीपीसी जरूर हुई, पर इसमें भी महानिदेशालय व सचिवालय की कार्यशैली लचर रही है। डीपीसी प्रकरण से ऐसा प्रतीत होता है कि समयबद्ध प्रक्रिया के लिए भी हर साल चिकित्सकों को विभागीय मंत्री की शरण में जाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों के लिए अलग से पारदर्शी स्थानांतरण नीति की मांग अब तक अनसुनी है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पीजी के दौरान चिकित्सकों को पूर्ण वेतन देने की घोषणा की थी, पर इस पर भी अमल नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश में अलग से एनएचएम आफिसर इंचार्ज की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि उत्तराखंड में जूनियर चिकित्सा अधिकारियों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों में जिम्मेदारी दे दी गई है। यह स्थिति तब है जब महानिदेशालय में कार्यक्रम अधिकारियों के संयुक्त निदेशक व अपर निर्देशक के पद पहले से सृजित हैं। दंत संवर्ग के चिकित्सा अधिकारियों का रिक्त पदों के सापेक्ष समायोजन भी लंबे समय से लंबित है। कहा कि राजकीय अवकाश पर ओपीडी को पूर्णता बंद रखें और इमरजेंसी में ही मरीज देखे जाएं। पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात विशेषज्ञ को चिकित्सकों मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर की तर्ज़ पर 50 प्रतिशत और एमबीबीएस व दंत चिकित्सकों को वेतन का 20 प्रतिशत भत्ता दिया जाए। इस बात पर रोष प्रकट किया कि सुगम व दुर्गम क्षेत्रों का गलत निर्धारण किया गया है। बैठक में डा. नरेश नपलच्याल, डा. मेघना,डॉ राम प्रकाश, डा. प्रवीण पंवार,डॉ श्रुति शर्मा, डा. प्रताप रावत,, डा. सतीश कुमार चौबे आदि उपस्थित रहे।