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यमुनोत्री में कांग्रेस में कलह ने की भाजपा की राह आसान, गंगा घाटी के जरिए खिलेगा कमल

– दीपक बिजल्वाण की वापसी से कांग्रेस में शुरू हुई कलह, दो गुटों में बंटी कांग्रेस
– यमुना घाटी के दावेदारों की बीच मचे इस द्वंद में भाजपा को मिला गंगा घाटी के जरिए कमल खिलाने का मौका
ब्यूरो, देहरादून।
यमुनोत्री विधानसभा में कल तक कड़ी टक्कर देने की स्थिति में दिख रही कांग्रेस आतंरिक कलह की चपेट में आ गई है। निर्वतमान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से ही पार्टी यहां दो गुटों में बंट गई है। दोनों गुटों के बीच तीखी टिका टिप्पणी भी चल रही है जिसके बाद दोनों गुटों के एक साथ आने की संभावनाएं भी धूमिल हो रही है। ऐसे में दर्जन भर दावेदारों की लंबी लाइन से जूझ रही भाजपा को यमुनोत्री विधानसभा में फिर से कमल खिलाने का मौका मिलता दिख रहा है। हालांकि, कांग्रेस में यमुना घाटी के प्रत्याशियों में मची कलह के चलते भाजपा के लिए गंगा घाटी के जरिए इस विधानसभा को दोबारा जीतने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।
बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की मौजूदगी में उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने कांग्रेस का दामन थामा। दीपक बिजल्वाण के कांग्रेस में आने की संभावनाओं को देखते हुए उससे पहले ही उत्तरकाशी के कांग्रेस संगठन ने अपनी आपत्ति जता दी थी, भारी विरोध के बावजूद हरीश रावत, गणेश गोदियाल ने यमुनोत्री विधानसभा से दावेदारी कर रहे दीपक बिजल्वाण को पार्टी का हिस्सा बनाकर चिन्यालीसौड़ में दीपक बिजल्वाण की ओर से बुलाई गई रैली में भी हिस्सा लेकर ईशारों ही ईशारों में यमुनोत्री से दीपक बिजल्वाण को प्रत्याशी घोषित कर दिया। वहीं, 2017 में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद भी भाजपा प्रत्याशी से महज पांच हजार वोटों से हारने वाले संजय डोभाल के समर्थन में कांग्रेस संगठन के एक बड़े हिस्से ने इन सबका विरोध जताया और अभी भी तक दीपक बिजल्वाण की दावेदारी के विरोध में खड़े हैं। कांग्रेस में मचे इस संग्राम ने भाजपा के लिए यमुनोत्री की लड़ाई आसान कर दी है। लेकिन, यहां पेंच सिर्फ यह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास ही यमुनोत्री विधानसभा की यमुना घाटी में ही दावेदारों की बड़ी फौज है जबकि मतदाताओं के लिहाज से सबसे बड़े क्षेत्र गंगा घाटी में सिर्फ भाजपा के पास एक ही दावेदार है।
अब तक यमुनोत्री विधानसभा के मिजाज से 2002 से लेकर 2017 तक बारी बारी से गंगा और यमुना घाटी के प्रत्याशी को जीत मिली है। 2017 में यमुना घाटी के प्रत्याशी केदार सिंह रावत को मिली जीत के बाद इस सीट पर गंगा घाटी से नामित प्रत्याशी का जीतना तय है।
भाजपा हाईकमान भी इस पूरे गणित से वाकिफ है और पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। सूत्रों की माने तो यमुना घाटी में मचे द्वंद के चलते भाजपा को यमुनोत्री विधानसभा दोबारा जीतने की संभावनाएं नजर आने लगी है इसके लिए पार्टी संगठन में पूर्व जिलाध्यक्ष रहे व पूर्व दर्जाधारी रामसुन्दर नौटियाल को पार्टी प्रत्याशी के रूप में 2022 के विधानसभा चुनाव में उतार सकती है।
पूर्व राज्यमंत्री व पूर्व जिलाध्यक्ष रहे रामसुन्दर नौटियाल यमुनोत्री विधानसभा से भाजपा से टिकट की पंक्ति में खड़े सबसे प्रबल दावेदार हैं। गंगा घाटी से संबंध रखने वाले रामसुन्दर नौटियाल के पास जहां पार्टी संगठन के विभिन्न पदों पर तीन दशक से अधिक के कार्य करने का अनुभव है तो 2017 के चुनाव में उनके अध्यक्ष कार्यकाल के दौरान पहली बार भाजपा यमुनोत्री में कमल खिलाने में सफल हो सकी थी।
वहीं, मतदाताओं के लिहाज से सबसे बड़े क्षेत्र दिचली गमरी में भी रामसुन्दर नौटियाल का खूब दबदबा है तो नगर पालिका चिन्यालीसौड़ क्षेत्र पिछले तीन दशकों से उनकी कर्मभूमि रही है। इसके साथ ही पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने के चलते यमुनोत्री विधानसभा के हर क्षेत्र में उनकी टीम उनके लिए वोट जुटाने को भी मुस्तैद है।

By amit