मसूरी सीट::: सीमित दायरे में फंसे कांग्रेसी दावेदार
देहरादून। देहरादून जिले की मसूरी सीट पर कांग्रेस के सभी प्रमुख दावेदार सीट के क्षेत्र विशेष इलाकों तक फंसकर रह गए हैं जबकि इस सीट से लगातार दो बार के विधायक गणेश जोशी ने हर लिहाज से इस सीट पर हर जगह अपने आप को मजबूत स्थिति में खड़ा करने का काम किया है।
पर्यटननगरी मसूरी से लेकर देहरादून के राजेंद्रनगर, दिलाराम बाजार की ऊपर राजपुर तो सहस्त्रधारा, चामासरी और मालदेवता के कुछ इलाकों से लेकर मसूरी के foothill के तमाम गांव पुरकुल, मालसी, सिनॉला, जोहड़ी, गढ़ी कैंट, डाकरा, संतला देवी, जैंतलवाला तक सीट का विस्तार है।
अगर इस सीट पर कांग्रेसी दावेदारों की बात करें तो प्रमुख रूप से तीन नाम ही जेहन में आते हैं। इनमें पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर लड़कर भी दुर्दशा कराने वाली गोदावरी थापली सबसे आगे हैं। वे 2012 के चुनाव में निर्दलीय के तौर पर मजबूती से लड़ी थी जिसके बाद 2017 में पहली बार कांग्रेस ने उन्हें अपना प्रत्याशी इस सीट पर बनाया। इससे पहले 2007 में इनके पति बिल्लू भी निर्दल चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि इस क्षेत्र के ही होने के बावजूद और निरंतर सक्रियता दिखाने के बावजूद ये दंपति आज तक इस सीट के गणित को समझ नहीं पाए। मसूरी के भट्टा गांव से लेकर पुरकल, मालसी, सिनॉला, गढ़ी, डाकरा आदि में इनके पास जो बड़त इनके पास एक दशक पहले होती थी उस पर अब इनकी पकड़ ढीली पड़ती दिखती है। वहीं, राजपुर से लेकर दिलाराम बाजार, जाखन की तमाम कॉलोनियों एवं नदी किनारे बसी तमाम बस्तियों में ये दंपति तमाम बार हार का मुँह देखने के बावजूद अपने नेटवर्क को नहीं बना पाए। जबकि इस इलाके पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने 2012 के बाद से ही ऐसी पकड़ बनाई की आज इसे भेद पाना आसान नहीं। इनके गढ़ यानी पुरकल से लेकर गढ़ी कैंट तक मे जहां जहां ये दंपति मजबूत माने जाते थे वहां से भी इनका वोट बैंक अब खिसक चुका है। इसी तरह गणेश जोशी ने सीट के हर उस इलाके में पकड़ कसी जहां जहां वे कमजोर थे।
दूसरी ओर अगर बात दूसरे कांग्रेसी दावेदार जोत सिंह गुनसोला की करें तो ये कभी मसूरी नगर से बाहर मजबूत नहीं दिखे। एक और दावेदार सोमेन्द्र बोहरा इस सीट से कांग्रेस के दावेदार हैं लेकिन फिलहाल इनका प्रभाव बेहद सीमित है।