उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार राज्य की डैमोग्राफी को बिगड़ने से बचाने को एक सख्त भू कानून तैयार करने जा रही है। ये कानून आगामी बजट सत्र में आएगा, लेकिन मुख्यमंत्री धामी ने उससे पहले ही मौजूदा भू कानून को ही सख्त बना दिया है। राज्य की नगर निकाय सीमा से बाहर मात्र 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने में हुई गड़बड़ियों पर कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं। साफ कर दिया है कि यदि किसी भी व्यक्ति ने तथ्य छुपा कर मौजूदा कानून का उल्लंघन कर उत्तराखंड में जमीनें खरीदी हैं, तो वो सभी जमीनें जब्त की जाएंगी। इस तरह सीएम धामी ने राज्य गठन के बाद पहली बार बेहद सख्त कदम उठाया है। इस सख्त के बाद राज्य से बाहर के लोगों के सामने एकमात्र विकल्प नियम विरुद्ध खरीदी गई जमीनों को संरेडर करने का है।
उत्तराखंड में पहले राज्य से बाहर के लोग निकाय सीमा से बाहर 500 वर्ग मीटर जमीन खरीद सकते थे। खंडूडी सरकार में इसे घटा कर 250 वर्ग मीटर किया गया। उस दौरान हल्ला मचा कि सीएम बीसी खंडूडी ने बेहद सख्त भू कानून कर दिया है, लेकिन वो कोई सख्ती नहीं रही। क्योंकि लोग तथ्य छुपा कर लगातार उत्तराखंड में जमीनें खरीदते रहे। लगातार राज्य की जमीनें लुटती रहीं, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। 2018 में तो पूरी तरह उत्तराखंड की जमीनों को खुर्दबुर्द करने का फैसला ले लिया गया।
अब पहली बार उत्तराखंड सरकार सही मायनों में सख्त भू कानून की दिशा में आगे बढ़ गई है। सीएम धामी ने दिखा दिया है कि बिना कानून में कुछ बदलाव किए बिना भी बाहरी लोगों के जमीन खरीद पर नकेल कसी जा सकती है। जब तक सख्त भू कानून आता है, उससे पहले ही अभी तक राज्य में बाहरी लोगों की ओर से खरीदी गई जमीनों का हिसाब किताब शुरू हो गया है। जिन लोगों ने भी देहरादून, टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, नैनीताल में तथ्य छुपा कर जमीनें खरीदी हैं, उनकी जमीनों को जब्त किया जाएगा। ऐसी जमीनों का ब्यौरा जुटाने के निर्देश सीएम पुष्कर धामी ने दे दिए हैं। जहां भी गड़बड़ी पाई जाएगी, वहां जमीनों को जब्त किया जाएगा। ये सख्त कदम राज्य हित में मील का पत्थर साबित होगा। इस कदम से सीएम धामी ने एक ऐसी सियासी बड़ी लकीर खींच दी है, जिसे छोटा करना किसी दूसरे के बस की बात नहीं होगी।