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देहरादून। पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के अकेले ऐसे सीएम हैं, जो अपने कार्यकाल के पहले ही दिन से लेकर अभी तक लगातार चुनौतियों, आपदा पर आपदा, संकट, साजिशों से जूझ रहे हैं। उनके अभी तक के कुल डेढ़ साल के कार्यकाल पर नजर दौड़ाएं, तो एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा है, जो सरकार के लिए सहज रहा हो। जबकि अभी तक के बाकि सीएम का शुरुआती एक साल तो हनीमून पीरियड की तरह निकला। पुष्कर धामी के लिए यही समय किसी प्रसव पीड़ा से कम नहीं रहा। इसके बाद भी इन डेढ़ साल में धामी सरकार नकल माफिया पर नकेल कसने, सलाखों के पीछे भेजने में सफल रही। अंकिता भंडारी के हत्यारों को जेल भेजा और जोशीमठ आपदा से उपजे विपरीत हालात को नियंत्रित करते हुए लोगों में भरोसा लगाने में सीएम सफल रहे।
जुलाई 2021 से अभी तक लगातार कोई महीना ऐसा नहीं गुजरा है, जब पुष्कर धामी का किसी न किसी संकट से वास्ता न पड़ा हो। पूरे समय सीएम पुष्कर धामी एक के बाद एक सामने आए संकटों का सामना करते रहे। जुलाई 2021 में पुष्कर धामी ऐसे समय में उत्तराखंड के सीएम बने, जब पूरे राज्य में भाजपा के कैडर का मनोबल टूट चुका था। उनसे पहले त्रिवेंद्र रावत सरकार में पार्टी कैडर का मनोबल पूरी तरह डाउन था। कार्यकर्ताओं में उत्साह पूरी तरह समाप्त हो चुका था। उसके बाद सीएम बने तीरथ सिंह रावत के बयानों ने न सिर्फ पूरे राज्य, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी की किरकिरी करा दी थी। खुफिया रिपोर्ट यही थी कि मौजूदा समय में चुनाव होते हैं, तो भाजपा बामुश्किल दहाई का भी आंकड़ा छूने की स्थिति में नहीं थी। खुद पार्टी के बड़े नेता तक कबूल रहे थे कि 20 सीट भी पार्टी यदि जीत लेती है, तो ये एक बड़ी उपलब्धि होगी।
इन विपरीत हालात में पुष्कर धामी ने जुलाई 2021 में पार्टी की कमान संभाली। सुबह, दोपहर, शाम से लेकर देर रात तक खुद को पूरी तरह झोंक दिया। सुबह, दोपहर गढ़वाल, कुमाऊं मंडलों में जिला, तहसील, ब्लॉक स्तर पर प्रचार की कमान संभाली। शाम और देर रात तक सरकार के कामकाज को निपटाते हुए राज्य के लिए भविष्य का एक विजन जनता के सामने रख एक विश्वास कायम किया। महज छह महीने के भीतर पार्टी कैडर में जबरदस्त उत्साह कायम करने में सफलता हासिल की। जुलाई 2021 से पहले जो कार्यकर्ता हिम्मत हार चुके थे, वे जनवरी 2022 तक आते आते जोश से लबरेज नजर आने लगे।
चुनाव प्रचार के दौरान जहां तमाम बड़े नेता, कैबिनेट मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व सीएम अपनी सीटों तक प्रचार में सिमट गए, वहीं सीएम पुष्कर पर खटीमा सीट के साथ ही पूरे राज्य में प्रचार की कमान संभाले रखने का दबाव रहा। इस कारण वे खटीमा पर भी पूरा समय नहीं दे पाए। दूसरी ओर पार्टी संगठन और सरकार के कुछ नेता सीएम पुष्कर की सीट खटीमा में लगातार साजिश के बीज बोते रहे। अपने ही सीएम को चुनाव हराने को छल बल, धन बल का इस्तेमाल करते रहे। इन तमाम साजिशों से बेखबर सीएम पुष्कर ने खुद को पूरी तरह पार्टी के लिए झोंक कर इतिहास रचने का काम किया। ऐसा कर उन्होंने वो काम किया, जो 22 सालों में कोई नहीं कर पाया। उत्तराखंड में कभी भी कोई पार्टी राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल नहीं हो पाई, लेकिन पुष्कर धामी ने महज छह महीने के अपने कार्यकाल मे ये काम करके दिखाया। पीएम नरेंद्र मोदी के आर्शीवाद और उनके दिए गए मूल मंत्र को जन जन तक पहुंचा कर भाजपा की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बना कर इतिहास रचा।

मार्च से शुरू हुआ साजिशों का दौर
चुनाव नतीजे आने पर साफ हो गया कि भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ वापसी कर रही है। इस प्रचंड जीत के नायक पुष्कर धामी खटीमा से चुनाव हार चुके थे। जैसे विरोधियों को इसी मौके का इंतजार था। इसके बाद शुरू हुआ साजिशों का दौर। सभी विरोधियों ने एक सिरे से जोर आजमाइश कर कोशिश की। प्रयास किया सीएम की कुर्सी पर पुष्कर न बैठ पाएं। अपने महज आठ महीने के कार्यकाल में ही अपने जीवन के सबसे बड़े सियासी भंवर में फंसे पुष्कर को देख लोगों ने यही अंदाजा लगाया कि अब उनका राजनीतिक जीवन समाप्त हो गया है। किसी ने ये नहीं कहा कि भाजपा की ये प्रचंड और असंभव सी लग रही जीत का असली नायक कौन है। हालांकि केंद्र में बैठी पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी को अपने इस सेनापति की मेहनत की पूरी जानकारी थी। उन्हें मालूम था कि वो कौन लोग थे कि जो जुलाई 2021 में मान रहे थे कि भाजपा दहाई के अंक में सिमट जाएगी। इन्हीं लोगों को करारा जवाब देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम की कुर्सी के लिए एकबार फिर पुष्कर सिंह धामी को ही सबसे उपर्युक्त पाया। ऐसा कर उन्होंने भविष्य के भी संकेत दिए। साफ कर दिया कि पुष्कर धामी भाजपा के सिर्फ उत्तराखंड का भविष्य का ही चेहरा नहीं है, बल्कि केंद्रीय आलाकमान उनमें भविष्य का राष्ट्रीय नेतृत्व भी तलाश रहा है।

सीएम बनने के बाद शुरू हुआ विरोधियों की साजिश का दौर
मार्च 2022 में सीएम के रूप में पुष्कर सिंह धामी ने कमान संभाली। कमान संभालते ही कॉमन सिविल कोड को लेकर अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में मजबूत फैसला लिया। रंजना देसाई की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। सख्त भू कानून को लेकर सुभाष कुमार समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। लोगों से सुझाव लिए। मजबूत कानून बनाने को राजस्व विभाग को जिम्मा सौंपा। इसी के साथ राज्य में नकल माफिया के खिलाफ इतिहास का सबसे बड़ा प्रहार किया। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सालों से छिपे भर्ती घोटाले के गोरखधंधे को बाहर निकाला। एक के बाद एक भर्ती घपलों का खुलासा किया। 54 से अधिक नकल माफियाओं को जेल की सलाखों के पीछे भेजा। उत्तराखंड की छोटी मछलियों समेत यूपी में बैठे बड़े माफियाओं को जेल भेजा। हाकम सिंह जैसे नकल माफिया को जेल भेजने के साथ ही उसकी संपत्तियों को बुलडोजर चला कर नेस्तानाबूद किया। प्रमुख वन संरक्षक रहे आरबीएस रावत समेत कन्याल, पोखरिया जैसे असरदार अफसरों तक को जेल भेजा। इस कार्रवाई से पुष्कर पूरे राज्य में एक नायक के रूप में उभरे। सीएम पुष्कर के इसी बढ़ते कद से पार्टी में उनके प्रतिद्वंदियों को दिक्कत होने लगी। यूकेएसएसएससी की सख्त कार्रवाई से ध्यान हटाने को साजिश रची गई। विधानसभा भर्तियों को एक घोटाले की शक्ल देने की साजिश रची गई। भाजपा के भीतर के ही कुछ नेता, जो बैकडोर से सीएम की कुर्सी तक पहुंचने की सपने देख रहे थे, उन्होंने अपने खबरनवीसों की एक कुख्यात टीम के साथ साजिश रची। विधानसभा भर्ती के नाम पर न सिर्फ सीएम पुष्कर को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची गई, बल्कि आरएसएस जैस अपने मातृ संगठन को भी बदनाम करने से ये नेता पीछे नहीं हटे। विधानसभा में जिस प्रक्रिया के तहत वर्ष 2000 से भर्तियां हो रही थी, वही 2002-07, वर्ष 2007-12, वर्ष 2012-17 के साथ ही 2017-22 के बीच हुई। एनडी तिवारी जैसे विद्धान सीएम, बीसी खंडूडी जैसे ईमानदार बताए जाने वाले जिन नेताओं ने जिस प्रक्रिया के तहत अपने कार्यकाल में विधानसभा में भर्ती की, उसी तरह बाद के वर्षों में भर्ती हुई। पहली बार विधानसभा की भर्तियों को सीएम पुष्कर धामी ने ही नियंत्रित किया। उन्होंने सिर्फ एक साल के कार्यकाल के लिए ही भर्ती करने को पदों की मंजूरी दी। इसके बाद भी बदनाम करने का भरसक प्रयास हुआ। राष्ट्रीय स्तर पर देवभूमि उत्तराखंड को बदनाम करने की साजिश रची गई। इसमें भी सीएम पुष्कर ने स्पीकर ऋतु खंडूडी को तत्काल निष्पक्ष जांच कर एकसमान कार्रवाई के निर्देश दिए। भले ही स्पीकर ऋतु खंडूडी ने सिर्फ 2016 और उसके बाद के नियुक्त कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर भेदभाव भरा फैसला लेकर पार्टी की फजीहत कराई। इस मामले में भी पार्टी के भीतर के लोगों की साजिश की चुनौती से पार पाने में सीएम पुष्कर सफल रहे।

अंकिता भंडारी केस में पार्टी, संघ, सरकार को बदनाम करने की हुई कोशिश
यूकेएसएसएससी और विधानसभा भर्ती मामले से अभी सीएम पुष्कर ने स्थिति को संभाला ही था कि अंकिता भंडारी मर्डर केस पार्टी के शकुनियों के लिए एक और बड़ा मौका बन कर सामने आया। इस मामले में भाजपा सरकार को अस्थिर करने और राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की पूरी कोशिश हुई। जबकि इस मामले में सीएम पुष्कर धामी ने बेहद ही सख्त रुख अपनाया। अंकिता के हत्यारों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा। जिसकी भी भूमिका संदिग्ध पाई गई, उसे तत्काल निलंबित किया। सख्त और ईमानदार महिला आईपीएस अफसर पी रेणुका देवी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया। अंकिता के हत्यारों का नार्को टेस्ट कराने का फैसला लिया। सत्ता पक्ष की अंदरुनी साजिशों और विपक्ष के हमलों को झेलते हुए पुष्कर धामी सरकार ने अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने को अपना सबकुछ झोंक दिया।

पीआईएल से पीएम मोदी और सीएम धामी को बदनाम करने की हुई साजिश
एक बाद एक साजिशें विफल होने के बाद विरोधियों को जब कुछ नहीं सूझा, तो उन्होंने विधानसभा भर्ती मामले में एक पीआईएल के जरिए सरकार को अस्थिर करने की एक और साजिश रची। विधानसभा भर्ती मामले को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल की गई। पीआईएल में सभी पूर्व स्पीकर को पार्टी बनाया गया, लेकिन किसी भी पूर्व सीएम को पार्टी नहीं बनाया गया। इसी तरह मौजूदा सीएम पुष्कर धामी को बाईनेम पार्टी बनाया गया, लेकिन मौजूदा स्पीकर ऋतु खंडूडी को छोड़ दिया गया। इतना ही नहीं, राज्य से जुड़े मामले में केंद्र सरकार, सीबीआई, केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को पार्टी बनाया गया। जिस शख्स ने पीआईएल की, उसे विधानसभा सचिवालय ने महज 24 घंटे के भीतर तमाम सूचनाएं उपलब्ध करा दी। वो भी विधानसभा की ईमेल आईडी पर आवेदन करने पर ही दे दी गई। जबकि विधानसभा से निकाले गए कर्मचारियों को आज चार महीने बाद भी सूचनाएं नहीं दी गईं। इस राजनीतिक साजिश को शायद हाईकोर्ट के जज भी भांप गए। कोर्ट ने सुनवाई में पीआईएल से सीएम पुष्कर धामी समेत अन्य सभी लोगों के नाम हटाने के आदेश किए। सिर्फ विधानसभा सचिवालय और पूर्व सचिव मुकेश सिंघल को ही पार्टी बनाया। इस तरह विरोधियों ने एकबार फिर मुंह की खाई।

वनभूलपुरा के बहाने माहौल बिगाड़ने का प्रयास
पुष्कर विरोधियों को हल्द्वानी का वनभूलपुरा केस भी किसी सौगात से कम नजर नहीं आया। सभी ने सपना देखा कि वनभूपुरा केस में सांप्रदायिक सौहार्द के साथ ही कानून व्यवस्था बिगड़ेगी। राष्ट्रीय स्तर पर फिर सरकार बदनाम होगी और राज्य में अस्थिरता फैलाने का उनका सपना पूरा होगा। सुप्रीम कोर्ट से फरवरी की डेट लगने और अतिक्रमण के इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे होने से पुष्कर विरोधियों ने फिर मुंह की खाई।

जोशीमठ के बहाने सरकार को फिर अस्थिर करने का हुआ प्रयास
ताबड़तोड़ आपदाओं, राजनीतिक अस्थिरता फैलाने वालों से निपटते हुए सीएम पुष्कर अभी आगे बढ़ ही रहे थे कि उनके सामने जोशीमठ जैसी प्राकृतिक आपदा सामने खड़ी हो गई। जोशीमठ की आपदा जैसे विपरीत हालात से घबराने की बजाय सीएम पुष्कर धामी फ्रंट फुट पर डटे रहे। खुद जोशीमठ पहुंच कर ग्राउंड जीरो से कमान संभाली। सचिव मुख्यमंत्री के रूप में वरिष्ठ नौकरशाह आर मीनाक्षी सुंदरम को मैदान में उतारा। देर रात तक खुद जोशीमठ की सड़कों लोगों का दुखदर्द समझा और राहत, बचाव काम में तेजी लाए। मौजूदा जोशीमठ को बचाने के साथ ही भविष्य के जोशीमठ को धरातल पर उतारने का प्लान तैयार किया। जोशीमठ उत्तराखंड की पहली ऐसी आपदा है, जिसमें सरकार सीएम की तत्परता के कारण किसी भी तरह के जान माल का नुकसान नहीं हुआ। इस तरह जोशीमठ के मोर्चे पर सीएम पुष्कर ने जहां आम लोगों का दिल जीता, वहीं विरोधियों की साजिश को फिर नेस्तानाबूद किया।

नहीं मिल रहा बदनाम करने का कोई सुराग
सीएम पुष्कर धामी के कार्यकाल में उन्हें बदनाम करने को विपक्षी, विरोधी तमाम सुराग तलाशने के काम कर रहे हैं, लेकिन किसी के हाथ कुछ नहीं आ रहा है। सीएम आवास में सीएम कैंप ऑफिस हो या सचिवालय में सीएम ऑफिस। हर जगह हर चीज व्यवस्थित है। जिसका सीएम से मिलने का कार्यक्रम तय होता है, वही नजर आता है। दलालों, भ्रष्टों, बिचौलियों की एंट्री कहीं नहीं है। नौकरशाहों, विभागाध्यक्षों पर भी इतना दबाव है कि कोई भी कुछ खेल करने की स्थिति में नहीं है। इस तरह विरोधी अब सीएम पुष्कर को उनके स्टाफ, सहयोगी, अफसरों के जरिए भी बदनाम करने की साजिश नहीं रच पा रहे हैं।

विपक्ष भी सीएम पुष्कर का मुरीद
ये पहला मौका है, जब किसी सीएम का विपक्ष भी मुरीद हो। पूर्व सीएम हरीश रावत कई बार सार्वजनिक मंचों पर सीएम पुष्कर धामी की तारीफ करते रहते हैं। जोशीमठ आपदा से बेहतर तरीके से निपटने, नकल माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, विपक्ष की आवाज को सुनने समेत तमाम मामलों में सीएम पुष्कर की विपक्ष के नेताओं ने खुल कर तारीफ की है। विपक्ष के नेताओं की ये तारीफ भी पुष्कर विरोधियों को परेशान किए हुए है।

पीएम मोदी का सीएम धामी पर भरोसा, बार बार पीएम दे रहे हैं संकेत
सीएम पुष्कर धामी पर पीएम नरेंद्र मोदी का भरोसा कायम है। ये भरोसा पीएम मोदी ने सीएम धामी को दोबारा सीएम बना कर दिखाया। तमाम दिग्गजों को छोड़ पीएम मोदी ने चुनाव हारने के बाद भी पुष्कर धामी को सीएम बनाया। बदरीनाथ धाम दौरे के दौरान पीएम मोदी पूरी रात धाम में ही रुके। चार घंटे पीएम ने सीएम धामी के साथ बिताए। पिछले महीने भी संसद भवन में बहुत ही शॉर्ट नोटिस में पीएम मोदी ने सीएम धामी से लंबी मुलाकात का समय देकर साफ संकेत दिए। पीएम मोदी का सीएम धामी के प्रति ये विश्वास पार्टी के भीतर कई लोगों को हजम नहीं हो रहा है। खासतौर पर राजनीति में बैकडोर एंट्री करने वालों को। इन साजिशों से बेखबर सीएम नित नये कीर्तिमान स्थापित करने की ओर बढ़े चले जा रहे हैं।

विकास के पथ पर भी सामने रखा मजबूत, दूरदर्शी विजन
डेढ़ साल से लगातार आपदाओं से घिरे सीएम पुष्कर धामी राज्य को विकास के पथ पर आगे लाने की दिशा में कई प्रयोग किए। मसूरी में चिंतन शिविर में राज्य के विकास का ठोस रोडमैप तैयार किया। राज्य में सड़कों का जाल फैला कर मजबूत आधारभूत ढांचे का रोडमैप बनाया। देहरादून में बिंदाल, रिस्पना और पछवादून में झाझरा से आशारोड़ी तक ऐलिवेटेड रोड का खाका तैयार कर एक दूरदर्शी सोच अपनाते हुए नए दून का सपना साकार किया। टिहरी से देहरादून तक टनल, मानसखंड कॉरिडोर के जरिए राज्य में धार्मिक पर्यटन मानचित्र को विस्तार देने का काम किया। सोलर पॉलिसी और मिनी हाइड्रो पॉलिसी के जरिए पावर सेक्टर में न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि राष्ट्र को भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाने का काम किया है। ऐसा कर सीएम पुष्कर ने पीएम मोदी के भरोसे को कायम रखने का काम किया है।

By amit