संभावना की नई ‘बेल’ को ‘संबल’ दे रही भाजपा … दिल्ली में भी “पुष्कर प्रयोग”
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय, मध्यप्रदेश में मोहन यादव, राजस्थान में भजन लाल शर्मा, हरियाणा में नायब सिंह सैनी और अब दिल्ली में रेखा गुप्ता। हिन्दी भाषी इन पांच प्रदेशों में नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा हाईकमान ने सबको चौंका दिया। दिल्ली में पहली बार विधायक चुनकर आई रेखा गुप्ता को ताज पहनाया गया है।
सियासी हलकों में इस फैसले के पीछे पॉलिटिकल स्ट्रेटजी तलाशी जा रही है तो सियासी विश्लेषक इस फैसले को भाजपा की भविष्य की सियासत से जोड़कर भी देख रहे हैं। इसे कोई ‘सोशल इंजीनियरिंग’ कह रहा है, कोई जनाधार वाले नेताओं को हासिये पर धकेलने की कोशिश तो कोई मोदी-शाह की जोड़ी का सरप्राइज। मगर इन सबसे इतर बात की जाए तो न यह कोई बाजीगरी है और न ही कोई सियासी चाल। सच्चाई यह है कि भाजपा में सियासत का नया दौर शुरू हो गया है। भविष्य के लिए नये नेता तैयार किए जा रहे हैं। पहली, दूसरी नहीं बल्कि सीधे तीसरी या चौथी पंक्ति के नेताओं को ‘नेतृत्व’ का मौका दिया जा रहा है। भाजपा हाईकमान ने अचंभित करने वाले इस बदलाव की शुरुआत 2021 में उत्तराखण्ड से की थी जब उस समय के बैक बेंचर कहे जाने वाले Pushkar Singh Dhami को अचानक राज्य की कमान सौंपी दी गई थी। ‘पुष्कर प्रयोग’ सफल रहने के बाद भाजपा अब अन्य बड़े प्रदेशों में भी इसे विस्तार दे रही है।
याद करिए ! साल 2021 में उत्तराखण्ड में तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद पार्टी ने दूसरी बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को नया मुख्यमंत्री बनाकर राजनीतिक विशेषज्ञों के सारे अनुमान गलत साबित कर दिए थे। उस वक्त धामी मुख्यमंत्री पद के लिए एकदम नया चेहरा थे। पुष्कर धामी को आगे करके भाजपा ने 2022 का चुनाव लड़ा और प्रचंड बहुमत से जीती। इतिहास में पहली बार किसी राजनैतिक पार्टी ने उत्तराखण्ड में लगातार दोबारा सरकार बनाई। हालांकि, धामी अपनी सीट खटीमा में प्रचार नहीं कर सके और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर भी पार्टी आलाकमान ने उन पर भरोसा करते हुए उन्हें दूसरी बार सीएम बनाया। दरअसल, महज छह माह के पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री के तौर पर धामी की कई खूबियां (सरल स्वभाव, दमदार नेतृत्व और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता) सामने आईं। इन्हीं खूबियों ने धामी को प्रधानमंत्री Narendra Modi की नजरों में सबसे उपयुक्त बनाया।
अपने दूसरे कार्यकाल में भी धामी धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार तमाम चुनौतियों के बीच कई बड़े फैसले ले चुकी है। सरकार के कुछ फैसले देश के दूसरे राज्यों के लिए भी नजीर बने हैं। भर्ती परीक्षाओं के लिए सख्त नकल विरोधी कानून, समान नागरिक संहिता, स्थानीय महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण, राज्य आन्दोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण, सख्त धर्मांतरण कानून, जमीन जेहाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, अंत्योदय परिवारों को साल में तीन मुफ्त गैस सिलेण्डर और अब सख्त भू कानून जैसे फैसलों ने धामी को राज्य के बाहर भी लोकप्रिय बना दिया। ‘जी20’ के तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रम, ‘उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट’ और राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन से भी धामी ने पूरे राष्ट्र का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। देखते ही देखते उत्तराखण्ड की सियासत में पुष्कर का कद बड़ा हो गया। तमाम उलब्धियों के आधार पर हर कोई पुष्कर को ‘हारी बाजी जीतने वाला बाजीगर’ बता रहा है।
गौर करने वाली बात है कि 2022 में भाजपा हाईकमान ने धामी को सिर्फ मुख्यमंत्री ही घोषित नहीं किया बल्कि उनके शपथ ग्रहण समारोह में पूरे राष्ट्रीय नेतृत्व ने उपस्थित रहकर उनका मनोबल भी बढ़ाया और साफ संदेश भी दिया कि आने वाला दौर नए नेताओं का होगा। भाजपा ने इसी रणनीति को अब मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और अब दिल्ली में भी आगे बढ़ाया है। विष्णुदेव साय, मोहन यादव, भजन लाल शर्मा, नायब सिंह सैनी और रेखा गुप्ता को अपनी काबीलियत साबित करने का मौका दिया गया है। छोटे से लेकर बड़े राज्यों में नए चेहरों की ताजपोशी भाजपा की सियासत में नए युग का आगाज है। भाजपा हाईकमान की नजर से देखें तो यह नई संभावनाओं की ‘बेल’ को ‘सम्बल’ देना जैसा है।
—
